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Sarva Pitru Amavasya 2024: आ गया है पितरों के विदा होने का समय, इन कार्यों से तृप्त होकर लौटेंगे पितृलोक

इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर से हुई थी जिसका समापन 02 अक्टूबर को होने जा रहा है। ऐसे में पितृ पक्ष का आखिरी दिन (Sarva Pitru Amavasya 2024 last Date) यानी सर्वपितृ अमावस्या पितरों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का भी आखिरी मौका है। ऐसे में इस दिन पितरों को विदाई देते समय ये कार्य जरूर करने चाहिए।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 01 Oct 2024 10:45 AM (IST)
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Sarva Pitru Amavasya 2024 सर्वपितृ अमावस्या पर इस कार्यों से पितृ तृप्त होकर लौटेंगे पितृलोक।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में भाद्रपद माह की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत मानी जाती है, जिसका समापन आश्विन माह की अमावस्या पर होता है। आश्विन माह की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितृ पुनः पितृलोक को लौट जाते हैं। ऐसे में यदि आप इस दिन पर कुछ खास कार्य करते हैं, तो इससे पितृ तृप्त होकर लौटते हैं। 

सर्वपितृ अमावस्या का मुहूर्त (Sarva Pitru Amavasya Muhurat)

आश्विन माह की अमावस्या तिथि 01 अक्टूबर, 2024 को रात्रि 09 बजकर 39 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं अमावस्या तिथि का समापन 03 अक्टूबर को रात 12 बजकर 18 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में सर्वपितृ अमावस्या बुधवार, 02 अक्टूबर को दिन मनाई जाएगी। इस दिन शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहने वाले हैं-

  • कुतुप मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक
  • रौहिण मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से 01 बजकर 21 मिनट तक
  • अपराह्न काल - दोपहर 01 बजकर 21 मिनट से दोपहर 03 बजकर 43 मिनट तक

जरूर करें ये काम (Sarva Pitru Amavasya Last Day Rituals)

सर्वपितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा करना संभव नहीं है, तो आप घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। साथ ही पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान आदि करें। पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए इस दिन पर गाय, कुत्‍ते, कौवे और चींटी के लिए भोजन जरूर निकालें। साथ ही ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और अपनी क्षमतानुसार दान-दक्षिणा देकर विदा करें।

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पीपल के पेड़ से जुड़े उपाय

सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya 2024 Significance) के दिन पीपल की पेड़ की पूजा करना शुभ माना जाता है, क्योंकि इस पेड़ में पितरों का वास माना गया है। इसी के साथ पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा करें और वृक्ष के नीचे सरसों के तेल के दीपक में काले तिल डालकर जलाएं। इसी के साथ आप इस दिन पर किसी मंदिर के बाहर पीपल का पेड़ भी लगा सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि पीपल के पौधे को कभी भी घर के अंदर नहीं लगाना चाहिए। आप इस दिन पितरों के नाम का तुलसी का पौधा को भी लगा सकते हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।