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Budh Pradosh Vrat 2024: इन 2 मंगलकारी योग में मनाया जाएगा आषाढ़ प्रदोष व्रत, प्राप्त होगा महादेव का आशीर्वाद

हर पक्ष में त्रयोदशी (Budh Pradosh Vrat 2024) तिथि देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 30 Jun 2024 08:46 PM (IST)
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Budh Pradosh Vrat 2024: कब मनाया जाएगा प्रदोष व्रत?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Budh Pradosh Vrat 2024: ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 03 जुलाई को प्रदोष व्रत है। बुधवार के दिन पड़ने के चलते यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा। प्रदोष व्रत का फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। बुध प्रदोष व्रत करने से शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्ति होती है। साथ ही बुद्धि में बढ़ोतरी होती है। इस व्रत की महिमा शिव पुराण में निहित है। बुध प्रदोष व्रत करने से जातक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही साधक भगवान शिव की कृपा के भागी बनते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो बुध प्रदोष व्रत पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से हर कार्य में सफलता मिलती है। आइए, योग के बारे में जानते हैं-

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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

ज्योतिषियों की मानें तो आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 03 जुलाई को सुबह 07 बजकर 10 मिनट से शुरू होगी। वहीं, त्रयोदशी तिथि का समापन 04 जुलाई को सुबह 05 बजकर 54 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत पर संध्याकाल में भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा की जाती है। अतः 03 जुलाई को बुध प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।

सर्वार्थ सिद्धि योग

बुध प्रदोष व्रत पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग दिन भर है। ज्योतिष सर्वार्थ सिद्धि योग को शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

शिववास योग

बुध प्रदोष व्रत पर शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव सुबह 07 बजकर 10 मिनट तक नंदी पर सवार रहेंगे। इस समय में भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक को हर कार्य में सिद्धि प्राप्त होगी।

करण

बुध प्रदोष व्रत पर तैतिल और गर करण का निर्माण हो रहा है। गर करण का योग संध्याकाल 06 बजकर 29 मिनट तक है। ज्योतिष दोनों करण को पूजा हेतु शुभ मानते हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 28 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 23 मिनट पर

चन्द्रोदय- सुबह 03 बजकर 28 मिनट पर

चंद्रास्त- शाम 05 बजकर 13 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 07 मिनट से 04 बजकर 47 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 22 मिनट से 07 बजकर 42 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।