Sawan 2021: सावन में क्यों होती है भगवान शिव की पूजा? जानें इसका धार्मिक महत्व
Sawan 2021 सावन माह का प्रारंभ होने वाला है। श्रावण मास भगवान शिव को सबसे अधिक प्रिय है। सावन में भगवान शिव की विशेष पूजा होती है। आइए जानते हैं कि सावन में भगवान शिव की पूजा क्यों की जाती है?
By Ritesh SirajEdited By: Updated: Wed, 21 Jul 2021 06:54 AM (IST)
Sawan 2021: हिंदू धर्म के अनुसार, श्रावण या सावन माह भगवान शिव को समर्पित है। देवों के देव महादेव की उपासना के लिए यह माह सबसे उत्तम माना गया है। सावन में सच्ची श्रद्धा के साथ शिव पूजन से व्यक्ति के सभी दुख दूर हो जाते हैं। शिव भक्त सावन में ही कांवड़ लेकर जाते हैं, जो पूरे एक माह तक चलता है। शिव पुराण के अनुसार, सावन मास में भगवान शिव और माता पार्वती भू-लोक पर निवास करते हैं। क्या आप जानते हैं कि सावन माह में शिव की पूजा क्यों होती है और यह मास उन्हें इतना पसंद क्यों है? आज इस विषय पर विस्तार से वर्णन करेंगे।
सावन में शिव ने किया था विषपानपौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन सावन मास में हुआ था। इस मंथन से विष निकला तो चारों तरफ हाहाकार मच गया। संसार की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने विष को कंठ में धारण कर लिया। विष की वजह से कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए। विष का प्रभाव कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव को जल अर्पित किया, जिससे उन्हें राहत मिली। इससे वे प्रसन्न हुए। तभी से हर वर्ष सावन मास में भगवान शिव को जल अर्पित करने या उनका जलाभिषेक करने की परंपरा बन गई।
सावन में शिव-पार्वती का मिलनभगवान शिव की अर्धांगिनी माता सती ने शिव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण लिया था। सती ने अपने दूसरे रूप में हिमालयराज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया था। शिव जी को पति रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने सावन मास में कठोर तपस्या की थी। शिव जी का विवाह इसी माह में हुआ था, इसीलिए भगवान शिव को सावन माह बहुत प्रिय है।
सावन मास में ससुराल आते हैं शिवसावन मास में भगवान शिव अपने ससुराल आए थे, जहां पर उनका अभिषेक करके धूमधाम से स्वागत किया गया था। इस वजह से भी सावन माह में अभिषेक का महत्व है। इस माह में भगवान शिव और माता पार्वती भू-लोक पर निवास करते हैं।डिसक्लेमर'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''