Sawan 2023: वर्ष 2023 में कब से शुरू हो रहा है पवित्र सावन का महीना? जानिए तिथि और प्रथम सोमवार व्रत का दिन
Sawan 2023 सावन के महीने को बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। आइए जानते हैं इस साल कब से शुरू हो रहा है सावन का पवित्र महीना?
By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sun, 23 Apr 2023 12:38 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Sawan 2023: हिंदू धर्म में श्रावण मास को बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव की भक्ति करने से साधकों को बल, बुद्धि एवं विद्या का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सावन के प्रत्येक सोमवार के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक अथवा दूधाभिषेक करने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं। बता दें कि प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से सावन के पवित्र महीने की शुरुआत हो जाती है। आइए जानते हैं किस दिन रखा जाएगा सावन का पहला सोमवार व्रत, शुभ मुहूर्त और महत्व?
सावन 2023 तिथि (Sawan 2023 Start Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 जुलाई को शाम 05 बजकर 08 मिनट पर होगा और इसका अंत 4 जुलाई को दोपहर 01 बजकर 38 मिनट पर हो जाएगा। वहीं सावन का प्रथम सोमवार व्रत 10 जुलाई 2023 को रखा जाएगा।
इस वर्ष 2 महीने का होगा सावन का महीना (Sawan 2023 Adhikmaas)
विक्रम संवत 2080 में सावन का महीना 2 महीने का होने जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस साल अधिकमास लगने जा रहा है, जिसके कारण सावन का महीना 59 दिनों का होगा। बता दें कि ऐसा खास संयोग 19 वर्षों के बाद बन रहा है। इस वर्ष सावन मास 4 जुलाई को आरंभ होगा और इसका समापन 31 अगस्त को हो जाएगा। जिसमें से 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिकमास या मलमास रहेगा।सावन 2023 पूजा महत्त्व (Sawan 2023 Importance)
वेद एवं शास्त्रों में श्रावण मास के महत्व को विस्तार से बताया गया है। मान्यता है कि माता पार्वती ने कठोर व्रत और उपवास करके भगवान शिव को सावन मास में ही पति रूप में प्राप्त किया था। इसके साथ भगवान विष्णु, ब्रह्मा, इंद्र और भगवान शिव के गण श्रावण मास में ही पृथ्वी पर वास करते हैं और अलग-अलग रूपों से भगवान शिव की आराधना करते हैं। श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से सभी दुखों का नाश होता है और साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। मान्यता यह भी है कि श्रावण मास में द्वादश ज्योतिर्लिंग में से किसी एक के भी दर्शन करने से साधक को अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।
डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।