Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Sawan 2023: क्यों भगवान शिव को प्रिय है सावन का महीना? जानिए इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें

Sawan 2023 शास्त्रों में सावन मास के महत्व को विस्तार से बताया है। साथ ही यह भी बताया है कि यह महीना भगवान शिव को अतिप्रिय है। बता दें कि सावन मास में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है इसलिए जो व्यक्ति सावन के महीने में महादेव की पूजा करता है उन्हें जीवन में सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Mon, 26 Jun 2023 01:43 PM (IST)
Hero Image
Sawan 2023: क्यों भगवान शिव को प्रिय है सावन का महीना?

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Sawan 2023: हिंदू धर्म में सावन मास को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। सावन के महीने में भगवान शिव की भक्ति का विशेष महत्व है। इस महीने को कई जगहों पर पर्व के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है और सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 4 जुलाई से सावन मास का शुभारंभ हो रहा है और अधिक मास के कारण यह 2 महीने का होगा। ऐसे में भगवान शिव की भक्ति के लिए 2 महीने का समय मिलेगा।

भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना

शास्त्रों में बताया गया है भगवान शिव को सावन का महीना अति प्रिय है। ऐसा इसलिए क्योंकि पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सावन के महीने में कठोर तपस्या की और इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी यह मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद दिया था। इसलिए मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना करने से वह आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं।

एक कथा यह भी प्रचलित है कि भगवान शिव सावन के महीने में धरती पर आकर अपने ससुराल जाते हैं। जहां उनका स्वागत किया जाता है। इसलिए उनके स्वागत के लिए शिव भक्त जलाभिषेक अथवा रुद्राभिषेक करते हैं।

सावन में क्या है भगवान शिव को जल चढ़ाने का महत्व?

धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि सावन मास में ही देवता और असुरों द्वारा समुद्र मंथन किया गया था। जिसमें हलाहल विष विश भी निकला था। यह ऐसा विष था जिससे पूरे सृष्टि को सर्वनाश निश्चित था। इसलिए संसार के उत्थान के लिए भगवान शिव ने स्वयं उस विष को कंठ में धारण कर लिया था। इसलिए उन्हें नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। सभी देवताओं ने विष के वेग को कम करने के लिए शिवजी पर जल का अभिषेक किया था। यही कारण है कि सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से, वह जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं भक्तों की सभी प्रार्थना सुनते हैं।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।