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Sawan 2024: कैसे हुई भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने की शुरुआत, इसके बिना पूजा रहती है अधूरी

सावन में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इससे साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पूजा के दौरान महादेव को बेलपत्र अर्पित किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि शिव जी को बेलपत्र चढ़ाने की शुरुआत कैसे हुई। अगर नहीं पता तो आइए जानते हैं इससे जुड़ी कथा के बारे में।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 27 Jul 2024 12:29 PM (IST)
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Sawan 2024: महादेव को प्रिय है बेलपत्र
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bel Patra Puja: पंचांग के अनुसार, सावन (Sawan 2024) का महीना 22 जुलाई से शुरू हो गया है, जिसका समापन 19 अगस्त को होगा। सावन के महीने का शिव भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस दौरान देवों के देव महादेव की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उन्हें प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है।  

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ऐसे हुई बेलपत्र अर्पित करने की शुरुआत

धार्मिक ग्रंथों की मानें तो समुद्र मंथन के समय विष निकला था, जिसका नाम कालकूट था। शिव जी ने कालकूट विष का पान किया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस विष के असर से महादेव का कंठ नीला पड़ गया था, जिसकी वजह से इनका नाम नीलकंठ पड़ा।  

कालकूट के प्रभाव से भगवान शिव का मस्तिष्क अधिक गर्म हो गया। ऐसे में देवी-देवताओं ने प्रभु के मस्तिष्क को शांत करने के लिए उन पर जल अर्पित किया। साथ ही बेलपत्र भी चढ़ाया, क्योंकि बेलपत्र की तासीर ठंडी होती है। मान्यता है कि तभी से पूजा के दौरान महादेव को बेलपत्र अर्पित करने की शुरुआत हुई। इससे साधक को प्रभु की कृपा प्राप्त होती है।

 

कैसे चढ़ाएं बेलपत्र

  • सबसे पहले महादेव को तिलक लगाएं।  
  • इसके बाद बेलपत्र, फल, फूल, भांग और धतूरा चढ़ाएं।  
  • दीपक जलाकर आरती करें और प्रिय चीजों का भोग लगाएं।  

कब तोड़ें बेलपत्र?  

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, बेलपत्र को कुछ महत्वपूर्ण तिथियों पर तोड़ना वर्जित है। इनमें चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि शामिल हैं। ऐसे में पूजा के लिए इन तिथियों से एक दिन पहले बेलपत्र को तोड़कर रख लें।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।