Sawan 2024: सिर्फ धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक दृष्टि से भी खास है सावन का महीना, जानिए कैसे
शिव भक्त सावन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह महीना सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि इस पूरे माह में शिव जी की भक्ति करने से साधक के जीवन में कोई कष्ट नहीं रहता। यह माह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है बल्कि इसका वैज्ञानिक कारण भी है। तो चलिए जानते हैं सावन का वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन का महीना मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। इस पूरे माह साधक शिव भक्ति में लीन रहते हैं। सावन में खानपान के नियमों में भी बदलाव आ जाता है, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से भी जरूरी माना गया है। अन्य दिनों में जहां हरी पत्तेदार सब्जियों और दूध-दही आदि को सेहत के लिए अच्छा माना जाता है, वहीं सावन में इन चीजों को खाने की मनाही होती है। ऐसे में चलिए जानते हैं इसका वैज्ञानिक कारण।
सावन में व्रत का महत्व
सावन में मौसमी बदलाव के कारण हमारी पाचन क्रिया धीमी हो जाती है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो, हमारा पाचन तंत्र सूर्य पर निर्धारित होता है। वहीं सावन के महीने में सूरज बहुत कम ही निकलता है, जिस कारण पाचन तंत्र कमजोर पड़ने लगता है।
इसी वजह से सावन में व्रत करने का विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि व्रत करने से हमारे पाचन तंत्र को कुछ विराम मिलता है और शरीर के दूषित पदार्थ भी बाहर निकल जाते हैं, इस प्रक्रिया को अंग्रेजी में डिटॉक्सिफिकेशन (Detoxification) कहते हैं। साथ ही व्रत से प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
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इन चीजों का खाने की होती है मनाही
सावन में वर्षा ऋतु भी चल रही होती है। पहली वर्षा से उपजने वाली सब्जियां जैसे मैथी, लाल भाजी, बथुआ, गोभी, पत्ता गोभी और बैंगन आदि दूषित हो जाती हैं। इनमें बैक्टीरिया और कीड़ों की संख्या बढ़ जाती है। यही कारण है कि सावन में इन सभी चीजों को खाने की मनाही होती है।
इसी प्रकार सावन में दूध-दही, कढ़ी खाने को भी मना किया जाता है। जिसका कारण यह है कि वर्षा ऋतु में उपजने वाली साग-सब्जियों और चारे का गाय-भैंस खाती हैं, जिसका प्रभाव उनके दूध पर भी पड़ता है। ऐसे में सावन में दूध या दूध से बनी चीजें सेहत पर बुरा असर डाल सकती हैं।यह भी पढ़ें - Sawan 2024: सावन में न करें इन 3 चीजों का सेवन, जानिए कांवड़ यात्रा का महत्व
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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