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Sawan 2024: सावन सोमवार पर अभिषेक के समय करें इस स्तोत्र का पाठ, आर्थिक तंगी होगी दूर

शिव पुराण में वर्णित है कि सावन (Sawan 2024) सोमवार पर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस व्रत को करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साधक सावन सोमवार पर विधिपूर्वक महादेव की पूजा करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 19 Aug 2024 08:00 AM (IST)
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Lord Shiv: भगवान शिव को कैसे प्रसन्न करें ?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sawan Somwar 2024: सावन के महीने में देवों के देव महादेव और मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही सावन सोमवार का व्रत रखा जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, 19 अगस्त यानी आज सावन महीने का अंतिम सोमवार है। साथ ही सावन पूर्णिमा भी है। इस उपलक्ष्य पर देशभर में रक्षाबंधन का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। धार्मिक मत है कि सावन सोमवार पर भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। साधक सावन सोमवार पर गंगाजल और दूध से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। जलाभिषेक करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। अगर आप भी धन संबंधी परेशानी से निजात पाना चाहते हैं, तो भगवान शिव का अभिषेक करते समय श्री लिङ्गाष्टकम् का पाठ अवश्य करें।

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श्री लिङ्गाष्टकम्

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गंनिर्मलभासितशोभितलिङ्गम्।

जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्॥

देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहम्करुणाकर लिङ्गम्।

रावणदर्पविनाशनलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥

सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गंबुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम्।

सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥

कनकमहामणिभूषितलिङ्गंफणिपतिवेष्टित शोभित लिङ्गम्।

दक्षसुयज्ञविनाशन लिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥

कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गंपङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम्।

सञ्चितपापविनाशनलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥

देवगणार्चित सेवितलिङ्गंभावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम्।

दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥

अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गंसर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम्।

अष्टदरिद्रविनाशनलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥

सुरगुरुसुरवरपूजित लिङ्गंसुरवनपुष्प सदार्चित लिङ्गम्।

परात्परं परमात्मक लिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥

लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यःपठेत् शिवसन्निधौ।

शिवलोकमवाप्नोतिशिवेन सह मोदते॥

लिङ्गाष्टकम् स्तोत्र के लाभ

शिव पुराण में वर्णित है कि पूजा या अभिषेक के समय लिङ्गाष्टकम् स्तोत्र का पाठ करने से साधक को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। साथ ही धैर्य और ध्यान शक्ति बढ़ती है। इस स्तोत्र के पाठ से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही आर्थिक समस्या से भी मुक्ति मिलती है। ज्योतिष भी जीवन में तरक्की और उन्नति करने के लिए शिव पूजा की सलाह देते हैं। भगवान शिव के शरणागत साधकों को पृथ्वी पर सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।