Sawan 2024: सावन में भगवान शिव के साथ करें न्याय के देवता की पूजा, सभी कार्यों में मिलेगी सफलता
शनिवार का दिन भगवान शनि को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस पवित्र दिन जो साधक उनकी पूजा करते हैं और उनके लिए कठिन व्रत रखते हैं उन्हें कभी किसी चीज के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है। साथ ही शनि दोष के बुरे प्रभाव से छुटकारा मिलता है। इस दिन शनि कवच का पाठ परम लाभकारी माना गया है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक दिन की पूजा-पाठ का जिक्र किया गया है। शनिवार का दिन भगवान शनि देव की पूजा और व्रत के लिए अत्यंत ही शुभ माना गया है। ऐसे में जब सावन चल रहा है, तो शनिदेव की पूजा का महत्व और भी ज्यादा पढ़ जाता है, क्योंकि यह महीने शिव जी को समर्पित है और न्याय के देवता भगवान शंकर के भक्त हैं। वहीं, जिन जातकों को शनि दोष से जुड़ी किसी भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है,
उन्हें शनिवार के दिन 'शनि कवच' का पाठ (Shani Kavach Ka Path) अवश्य करना चाहिए। साथ ही शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे आपको जल्द राहत मिलेगी, तो चलिए यहां पढ़ते हैं।
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।।शनि कवच का पाठ।।
विनियोग - अस्य श्री शनैश्चरकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, शनैश्चरो देवता, शीं शक्तिः,शूं कीलकम्, शनैश्चरप्रीत्यर्थं जपे विनियोगःनीलाम्बरो नीलवपु: किरीटी गृध्रस्थितत्रासकरो धनुष्मान्।चतुर्भुज: सूर्यसुत: प्रसन्न: सदा मम स्याद्वरद: प्रशान्त:।।श्रृणुध्वमृषय: सर्वे शनिपीडाहरं महंत्।
कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम्।।कवचं देवतावासं वज्रपंजरसंज्ञकम्।शनैश्चरप्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम्।।ऊँ श्रीशनैश्चर: पातु भालं मे सूर्यनंदन:।नेत्रे छायात्मज: पातु कर्णो यमानुज:।।नासां वैवस्वत: पातु मुखं मे भास्कर: सदा।स्निग्धकण्ठश्च मे कण्ठ भुजौ पातु महाभुज:।।स्कन्धौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रद:।वक्ष: पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितस्थता।।
नाभिं गृहपति: पातु मन्द: पातु कटिं तथा।ऊरू ममाSन्तक: पातु यमो जानुयुगं तथा।।पदौ मन्दगति: पातु सर्वांग पातु पिप्पल:।अंगोपांगानि सर्वाणि रक्षेन् मे सूर्यनन्दन:।।इत्येतत् कवचं दिव्यं पठेत् सूर्यसुतस्य य:।न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवन्ति सूर्यज:।।व्ययजन्मद्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोSपि वा।कलत्रस्थो गतोवाSपि सुप्रीतस्तु सदा शनि:।।अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे।
कवचं पठते नित्यं न पीडा जायते क्वचित्।।इत्येतत् कवचं दिव्यं सौरेर्यन्निर्मितं पुरा।जन्मलग्नस्थितान्दोषान् सर्वान्नाशयते प्रभु:।।यह भी पढ़ें: Banke Bihari Temple: वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में क्यों नहीं है घंटी? बजाना भी है मना!
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