Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Sawan 2024: क्यों भगवान शिव को प्रिय है बेलपत्र? एक क्लिक में पढ़ें पौराणिक कथा

देवों के देव महादेव की महिमा निराली है। अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इसके लिए साधक श्रद्धा भाव से सावन सोमवार (Sawan Somwar 2024) पर भगवान शिव की पूजा करते हैं। साथ ही सावन सोमवार का व्रत करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 21 Jul 2024 06:08 PM (IST)
Hero Image
Sawan 2024: सावन माह का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sawan Somwar 2024: हर वर्ष आषाढ़ पूर्णिमा के अगले दिन से सावन महीने की शुरुआत होती है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। विष्णु पुराण में निहित है कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से जगत के पालनहार भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं। अतः सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। इस अवधि में देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। भगवान शिव महज जलाभिषेक और बेलपत्र चढ़ाने से प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव को बेलपत्र क्यों पसंद है और इसकी कथा क्या है? आइए जानते हैं-

यह भी पढ़ें: सावन महीने में इन 4 राशियों को मिलेगा सच्चा प्यार, रिश्ते की भी होगी बात


कथा

शिव पुराण के अनुसार, चिर काल में भील नामक एक डाकू था, जो परिवार के पालन-पोषण के लिए चोरी करता था। एक बार भील डाकू सावन महीने में राहगीरों को लूटने के लिए वन में चला गया। इस समय वह एक वृक्ष पर चढ़कर ताक में बैठ गया। हालांकि, दिन में एक भी राहगीर उस रास्ते से नहीं गुजरा। भील डाकू संध्याकाल तक राहगीरों की प्रतीक्षा करता रहा। शाम होने के बाद भी कोई नहीं आया।

यह देख भील डाकू सोचा, शायद किसी ने उसे आते देख लिया है। इसके लिए देर से राहगीर गुजरेगा। कुछ देर और कुछ देर और सोचकर रात्रि के प्रथम पहर तक पेड़ पर बैठा रहा। इसके बाद उसे समझ आया कि शायद अब कोई नहीं आएगा। हालांकि, रात हो गई थी। यह सोच वह पेड़ से नहीं उतरा कि नीचे कोई हिंसक जानवर हो सकता है। वह पेड़ पर ही बैठ रहा। भूख-प्यास के चलते भील डाकू को नींद भी नहीं आ रही थी।

वह इधर-उधर देख पेड़ के पत्ते तोड़-तोड़कर नीचे फेंकने लगे। साथ ही रात्रि भय से बचने के लिए शिव-शिव कर रहा था। नीचे पूर्व से शिवलिंग था। वह वृक्ष बेल का था। अतः बेलपत्र शिवलिंग को अर्पित हो रहा था। भील डाकू की भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव प्रकट हुए। भगवान शिव को देखकर भील डाकू प्रसन्न हो उठा।

उस समय से भील डाकू भगवान शिव की भक्ति में लीन गया। साथ ही गलत आचरणों को भी त्याग दिया। कहते हैं कि भगवान शिव की भक्ति से भील डाकू को मरणोपरांत शिव धाम प्राप्त हुआ। कालांतर से पूजा के समय भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाया जाता है।

यह भी पढ़ें: सावन में इन 4 राशियों पर बरसेगी सूर्य देव की कृपा, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।