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Sawan 3rd Pradosh Vrat 2023: सावन मास का तीसरा प्रदोष व्रत कब? जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त

Sawan 3rd Pradosh Vrat 2023 सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। वहीं श्रावण मास में पड़ने प्रदोष व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। वही श्रावण मास का तीसरा प्रदोष व्रत अगस्त माह के प्रारंभ में ही रखा जाएगा।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Thu, 03 Aug 2023 04:05 PM (IST)
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Sawan 3rd Pradosh Vrat 2023: सावन मास का तीसरा प्रदोष व्रत कब?
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Sawan 3rd Pradosh Vrat 2023: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत ही महत्व है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। बता दें कि प्रदोष व्रत के शुभ अवसर पर प्रदोष काल यानी संध्या के समय भगवान शिव की उपासना का विधान है। पंचांग के अनुसार, श्रावण 'अधिक' मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन श्रावण मास का तीसरा प्रदोष व्रत रखा जाएगा। आइए जानते हैं, कब है सावन अधिक मास के तीसरे प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त और महत्व?

श्रावण अधिक प्रदोष व्रत 2023 तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 13 अगस्त सुबह 08 बजकर 19 मिनट से प्रारंभ होगी और इस तिथि का समापन 14 अगस्त सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में श्रावण मास का तीसरा प्रदोष व्रत 13 अगस्त 2023, रविवार के दिन रखा जाएगा। रविवार का दिन होने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाएगा। इस विशेष दिन पर प्रदोष काल संध्या 07 बजकर 03 मिनट से रात्रि 09 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।

श्रावण अधिक प्रदोष व्रत पूजन विधि

श्रावण मास के तीसरे प्रदोष व्रत के दिन साधक सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें और गंगाजल दूध इत्यादि से भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके बाद प्रदोष काल में पंचामृत से भगवान शिव रुद्राभिषेक का करें। इस दौरन 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप निरंतर करते रहें। अंत में भगवान शिव की आरती के साथ पूजा संपन्न करें।

श्रावण अधिक मास प्रदोष व्रत का महत्व

शास्त्रों में बताया गया है कि रवि प्रदोष व्रत का पालन करने से साधक को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही भगवान शिव की कृपा साधक पर बनी रहती है। इसके साथ यह व्रत रखने से स्वास्थ्य को भी बहुत लाभ प्राप्त होता है और व्यक्ति निरोगी जीवन जीता है। मान्यता यह भी है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की उपासना करने से साधक को सुख, समृद्धि, धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहे।