Pradosh Vrat 2024: सावन के पहले प्रदोष व्रत पर करें यह एक कार्य, वैवाहिक जीवन होगा सुखी
प्रदोष व्रत भगवान शंकर को बहुत प्रिय है। यह महीने में दो बार आते हैं। इस बार यह व्रत 1 अगस्त को रखा जाएगा। ज्योतिष की दृष्टि से सावन और प्रदोष व्रत दोनों ही शिव जी को बेहद प्रिय हैं। ऐसे में इस दौरान शिव जी की पूजा-अर्चना भाव के साथ विधिपूर्वक करें। इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन का महीना बेहद पवित्र माना जाता है। यह माह भोलेनाथ की पूजा के लिए बेहद शुभ है। यह समय मानसून की शुरुआत का भी प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान पड़ने वाले सभी व्रत का फल दोगुना प्राप्त होता है। वहीं, सावन माह में प्रदोष व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि ये दोनों ही व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इस माह यह व्रत 1 अगस्त 2024 को रखा जाएगा। अगर आप शिव जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको प्रदोष व्रत का उपवास अवश्य रखना चाहिए।
साथ ही शिव मंदिर जाकर उन्हें जल चढ़ाना चाहिए, इससे शिव कृपा प्राप्त होगी। वहीं, इस दिन प्रदोष काल में ''जानकीकृतं पार्वती स्तोत्र'' का पाठ परम मंगलकारी माना गया है, जो इस प्रकार है -
।।जानकीकृतं पार्वती स्तोत्र।।
''जानकी उवाच''शक्तिस्वरूपे सर्वेषां सर्वाधारे गुणाश्रये।
सदा शंकरयुक्ते च पतिं देहि नमोsस्तु ते।।सृष्टिस्थित्यन्त रूपेण सृष्टिस्थित्यन्त रूपिणी।सृष्टिस्थियन्त बीजानां बीजरूपे नमोsस्तु ते।।हे गौरि पतिमर्मज्ञे पतिव्रतपरायणे।पतिव्रते पतिरते पतिं देहि नमोsस्तु ते।।सर्वमंगल मंगल्ये सर्वमंगल संयुते।
सर्वमंगल बीजे च नमस्ते सर्वमंगले।।सर्वप्रिये सर्वबीजे सर्व अशुभ विनाशिनी।सर्वेशे सर्वजनके नमस्ते शंकरप्रिये।।परमात्मस्वरूपे च नित्यरूपे सनातनि।साकारे च निराकारे सर्वरूपे नमोsस्तु ते।।क्षुत् तृष्णेच्छा दया श्रद्धा निद्रा तन्द्रा स्मृति: क्षमा।एतास्तव कला: सर्वा: नारायणि नमोsस्तु ते।।लज्जा मेधा तुष्टि पुष्टि शान्ति संपत्ति वृद्धय:।
एतास्त्व कला: सर्वा: सर्वरूपे नमोsस्तु ते।।दृष्टादृष्ट स्वरूपे च तयोर्बीज फलप्रदे ।सर्वानिर्वचनीये च महामाये नमोsस्तु ते।।शिवे शंकर सौभाग्ययुक्ते सौभाग्यदायिनि।हरिं कान्तं च सौभाग्यं देहि देवी नमोsस्तु ते।।फलश्रुतिस्तोत्रणानेन या: स्तुत्वा समाप्ति दिवसे शिवाम्।नमन्ति परया भक्त्या ता लभन्ति हरिं पतिम्।।इह कान्तसुखं भुक्त्वा पतिं प्राप्य परात्परम्।
दिव्यं स्यन्दनमारुह्य यान्त्यन्ते कृष्णसंनिधिम्।।।।श्री ब्रह्मवैवर्त पुराणे जानकीकृतं पार्वतीस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।गौरी मंत्रॐ देवी महागौर्यै नमः।।ध्यान मंत्रवन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्।।पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्।।
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्।।प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्।यह भी पढ़ें: Mangla Gauri Vrat 2024: सावन के दूसरे मंगला गौरी व्रत पर इस नियम से करें पूजा, नोट करें शुभ योग और मंत्र
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