सावन का महीना बेहद पावन माना जाता है। 12 अगस्त 2024 को सावन का चौथा सोमवार पड़ रहा है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान भगवान शंकर की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। साथ ही कठिन व्रत का पालन करना चाहिए जो लोग इस दिन भगवान शंकर की पूजा सच्ची श्रद्धा के साथ करते हैं उन्हें सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन का महीना ही बेहद शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। यह एक मात्र ऐसा महीना है जो भोलेनाथ को अति प्रिय है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पूरे महीने भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
कहा जाता है कि इस दौरान
भगवान शंकर धरती पर निवास करते हैं, इसलिए प्रत्येक शिव भक्तों इस अवधि में शिव जी की विधिवत पूजा करने के बाद ''शिव स्तुति'' का पाठ करना चाहिए, जो इस प्रकार है।
।।शिव स्तुति का पाठ।।
आशुतोष शशांक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा।।निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव, जगत सर्जक प्रलय करता, शिवम सत्यम सुंदरा।।
निरंकार स्वरूप कालेश्वर, महा योगीश्वरा, दयानिधि दानिश्वर जय, जटाधार अभयंकरा।।
शूल पानी त्रिशूल धारी, औगड़ी बाघम्बरी, जय महेश त्रिलोचनाय, विश्वनाथ विशम्भरा।।यह भी पढ़ें:हाथ में कौड़ी पहनते समय न करें ये गलतियां, उल्टा पड़ सकता है प्रभावनाथ नागेश्वर हरो हर, पाप साप अभिशाप तम, महादेव महान भोले, सदा शिव शिव संकरा।।जगत पति अनुरकती भक्ति, सदैव तेरे चरण हो, क्षमा हो अपराध सब, जय जयति जगदीश्वरा।।जनम जीवन जगत का, संताप ताप मिटे सभी, ओम नमः शिवाय मन, जपता रहे पञ्चाक्षरा।।
आशुतोष शशांक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ।।कोटि नमन दिगम्बरा।। कोटि नमन दिगम्बरा।। कोटि नमन दिगम्बरा।।
।।शिव-स्तुति।।
नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं नमामि सर्वज्ञमपारभावम्। नमामि रुद्रं प्रभुमक्षयं तं नमामि शर्वं शिरसा नमामि॥१॥नमामि देवं परमव्ययंतं उमापतिं लोकगुरुं नमामि। नमामि दारिद्रविदारणं तं नमामि रोगापहरं नमामि॥२॥
नमामि कल्याणमचिन्त्यरूपं नमामि विश्वोद्ध्वबीजरूपम् । नमामि विश्वस्थितिकारणं तं नमामि संहारकरं नमामि ॥३॥नमामि गौरीप्रियमव्ययं तं नमामि नित्यंक्षरमक्षरं तम् । नमामि चिद्रूपममेयभावं त्रिलोचनं तं शिरसा नमामि ॥४॥नमामि कारुण्यकरं भवस्या भयंकरं वापि सदा नमामि । नमामि दातारमभीप्सितानां नमामि सोमेशमुमेशमादौ ॥५॥नमामि वेदत्रयलोचनं तं नमामि मूर्तित्रयवर्जितं तम् । नमामि पुण्यं सदसद्व्यातीतं नमामि तं पापहरं नमामि ॥६॥
यह भी पढ़ें:जन्म तिथि से जानें किस देवी-देवता की पूजा से आपको हो सकता है धन लाभनमामि विश्वस्य हिते रतं तं नमामि रूपापि बहुनि धत्ते । यो विश्वगोप्ता सदसत्प्रणेता नमामि तं विश्वपतिं नमामि ॥७॥यज्ञेश्वरं सम्प्रति हव्यकव्यं तथागतिं लोकसदाशिवो यः । आराधितो यश्च ददाति सर्वं नमामि दानप्रियमिष्टदेवम् ॥८॥नमामि सोमेश्वरंस्वतन्त्रं उमापतिं तं विजयं नमामि । नमामि विघ्नेश्वरनन्दिनाथं पुत्रप्रियं तं शिरसा नमामि ॥९॥
नमामि देवं भवदुःखशोक विनाशनं चन्द्रधरं नमामि । नमामि गंगाधरमीशमीड्यं उमाधवं देववरं नमामि ॥१०॥नमाम्यजादीशपुरन्दरादि सुरासुरैरर्चितपादपद्मम् । नमामि देवीमुखवादनानां ईक्षार्थमक्षित्रितयं य ऐच्छत् ॥११॥पंचामृतैर्गन्धसुधूपदीपैः विचित्रपुष्पैर्विविधैश्च मन्त्रैः । अन्नप्रकारैः सकलोपचारैः सम्पूजितं सोममहं नमामि ॥१२॥
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