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Sawan Fourth Somvar 2024: सावन के चौथे सोमवार पर करें इस स्तोत्र का पाठ, मिलेगा पूर्ण सावन का फल

सावन का महीना बेहद शुभ माना जाता है। 12 अगस्त 2024 यानी आज सावन का चौथा सोमवार है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान भगवान शंकर की विधिवत आराधना करनी चाहिए। साथ ही सोमवार के कठिन व्रत का पालन करना चाहिए जो लोग इस दिन भगवान शंकर की पूजा भक्ति भाव के साथ करते हैं उन्हें सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 12 Aug 2024 08:42 AM (IST)
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Sawan Fourth Somvar 2024:श्री उमा महेश्वर स्तोत्र का पाठ -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। श्रावण मास का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। यह पूरा महीना भगवान शंकर को अति प्रिय है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पूरे महीने भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग सच्ची श्रद्धा के साथ इस पूरे माह सोमवार का व्रत (Sawan Fourth Somvar 2024) करते हैं और प्रतिदिन मंदिर जाकर शिव जी को जल और बेल पत्र चढ़ाते हैं, उन्हें सुख और शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

वहीं, इस पूर्ण माह का फल प्राप्त करने के लिए ''श्री उमा महेश्वर स्तोत्र'' का पाठ भी परम कल्याणकारी माना गया है। इस पाठ को करने से शिव परिवार की कृपा आपके ऊपर सदैव के लिए बनी रहती है, तो चलिए यहां इसका पाठ करते हैं।

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॥ श्रीगणेशाय नमः ॥

नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्यां

परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम् ।

नगेन्द्रकन्यावृषकेतनाभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां सरसोत्सवाभ्यां

नमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम् ।

नारायणेनार्चितपादुकाभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां वृषवाहनाभ्यां

विरिञ्चिविष्ण्विन्द्रसुपूजिताभ्याम् ।

विभूतिपाटीरविलेपनाभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ ॥

नमः शिवाभ्यां जगदीश्वराभ्यां

जगत्पतिभ्यां जयविग्रहाभ्याम् ।

जम्भारिमुख्यैरभिवन्दिताभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां परमौषधाभ्यां

पञ्चाक्षरीपञ्जररञ्जिताभ्याम् ।

प्रपञ्चसृष्टिस्थितिसंहृताभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यामतिसुन्दराभ्यां

अत्यन्तमासक्तहृदम्बुजाभ्याम् ।

अशेषलोकैकहितङ्कराभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां कलिनाशनाभ्यां

कङ्कालकल्याणवपुर्धराभ्याम् ।

कैलासशैलस्थितदेवताभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यामशुभापहाभ्यां

अशेषलोकैकविशेषिताभ्याम् ।

अकुण्ठिताभ्यां स्मृतिसम्भृताभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां रथवाहनाभ्यां

रवीन्दुवैश्वानरलोचनाभ्याम् ।

राकाशशाङ्काभमुखाम्बुजाभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां जटिलन्धराभ्यां

जरामृतिभ्यां च विवर्जिताभ्याम् ।

जनार्दनाब्जोद्भवपूजिताभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां विषमेक्षणाभ्यां

बिल्वच्छदामल्लिकदामभृद्भ्याम् ।

शोभावतीशान्तवतीश्वराभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

नमः शिवाभ्यां पशुपालकाभ्यां

जगत्रयीरक्षणबद्धहृद्भ्याम् ।

समस्तदेवासुरपूजिताभ्यां

नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥॥

स्तोत्रं त्रिसन्ध्यं शिवपार्वतीभ्यां

भक्त्या पठेद्द्वादशकं नरो यः ।

स सर्वसौभाग्यफलानि

भुङ्क्ते शतायुरान्ते शिवलोकमेति ॥॥

॥ इति श्री शङ्कराचार्य कृत उमामहेश्वर स्तोत्रम ॥

आद्य गुरु शंकराचार्य रचित उमा महेश्वर स्तोत्र

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