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Sawan Somwar 2024: कब है सावन का अंतिम सोमवार? अभी नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

सनातन धर्म में सावन के महीने को बेहद शुभ माना जाता है। पंचांग के अनुसार सावन महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हुई है और इसका समापन 19 अगस्त को होगा। सावन सोमवार का व्रत करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से साधक को मनचाहा वर की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कब है सावन का अंतिम सोमवार?

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 17 Aug 2024 10:19 AM (IST)
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Sawan 2024: सोमवर के दिन होगा सावन का समापन

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sawan Ka Antim Somwar Kab Hai 2024: भगवान शिव को सावन का महीना बेहद प्रिय है। इस महीने में देशभर में उत्सव जैसा माहौल देखने को मिलता है। सावन सोमवार पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है। मान्यता है कि व्रत को करने से साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस बार सावन का महीना बेहद शुभ माना जा रहा है, क्योंकि सावन की शुरुआत सोमवार के दिन हुई है और इसका समापन सोमवार के दिन होगा। इस लेख में जानते हैं सावन के अंतिम सोमवार का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

सावन का अंतिम सोमवार 2024 की डेट और शुभ मुहूर्त (Sawan Ka Antim Somwar 2024 Date Shubh Muhurat)

सावन का अंतिम सोमवार व्रत पूर्णिमा पर किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, सावन पूर्णिमा 19 अगस्त को रात 03 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और 19 अगस्त को रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगा। इसी दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 25 मिनट से लेकर 05 बजकर 09 मिनट तक रहेगा।

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सावन सोमवार पूजा विधि (Sawan Somwar Vrat Puja Vidhi)

इस दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। सूर्य देव को जल अर्पित करें। अब मंदिर की सफाई कर गंगाजल के छिड़काव से शुद्ध करें। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को विराजमान करें। इसके बाद भगवान शिव का गुड़, दही, गंगाजल, दूध, घी और शक्कर समेत आदि चीजों से रुद्राभिषेक करें। मां पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीजें अर्पित करें। देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जप करें। प्रभु से जीवन में सुख-शांति की कामना करें। सफेद मिठाई, हलवा, दही और फल का भोग लगाएं। इस दिन दान करना बेहद शुभ माना जाता है।

भगवान शिव के मंत्र (Lord Shiv Mantra)

1. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।

2. मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।

मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नम: शिवाय ।।

3. नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय ।।

4. शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।

श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नम: शिवाय ।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।