Sawan ke niyam: सावन में साग और कढ़ी क्यों नहीं खाना चाहिए, जानिए वैज्ञानिक कारण
Sawan ke niyam सावन के पवित्र माह में भगवान शिव की आराधना करने से व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होता है। सावन में खान-पान से संबंधित कुछ नियम बताए गए हैं। इन नियमों के अनुसार इस महीने में कई चीजों को खाने की मनाही है। जैसे- दही दही से बनी चीजें जैसे कढ़ी और साग आदि। आइए जानते हैं कि इसके वैज्ञानिक और धार्मिक कारण क्या हैं।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Mon, 10 Jul 2023 04:03 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म। Sawan ke niyam: सावन के महीने को बहुत ही पवित्र है। साथ ही इसे भगवान शिव का प्रिय महीना भी माना जाता है इसलिए यह समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। अधिकमास या मलमास के चलते इस वर्ष यानी 2023 में सावन लगभग 2 महीनों तक चलने वाला है। सावन के पवित्र माह में भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
क्या है धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन में भगवान शिव को कच्चा दूध और दही अर्पित किया जाता है इसलिए इस मास में कच्चा दूध व इससे बनी चीजों का सेवन करना वर्जित माना गया है। वहीं, कढ़ी बनाने के लिए दही का इस्तेमाल होता है, इसलिए सावन मास में कढ़ी या दूध, दही से संबंधित चीजों का सेवन करने की मनाही है। सावन में साग का सेवन इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि भगवान शिव को प्रकृति से बेहद प्रेम है ऐसे में साग-पात को तोड़कर खाना शुभ नहीं माना जाता।
जानिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण
हिंदू धर्म जितना धार्मिक है उतना वैज्ञानिक भी है। सावन मास में बारिश अधिक होने के कारण अनचाही जगहों पर घास उगने लगती है और कई तरह के कीड़े-मकोड़े उन पर रहते हैं। ऐसे में गाय-भैंस घास चरने लगती हैं, जिसका प्रभाव उनके दूध पर पड़ता है। इसलिए इस मौसम में दूध दही या उससे बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। साग की मनाही का भी यही कारण है कि सावन के महीने में हरी पत्तेदार सब्जियों में कीड़े लगने का डर ज्यादा होता है। साथ ही सावन के महीने में साग में पित्त बढ़ाने वाले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है जो कि पाचन में समस्या पैदा करते हैं। इससे सेहत पर बुरा असर पड़ता है।क्या कहता है आयुर्वेद
आयुर्वेद में भी दूध व दही से संबंधित चीजें जैसे रायता, कढ़ी और साग आदि का सेवन बारिश के दिनों में वर्जित माना गया है। स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कढ़ी के सेवन से वात रोग होने का खतरा होता है क्योंकि दही में एसिड होने से कई तरह की परेशानियां बनी रहती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, सावन मास में पाचन क्रिया धीमी रहती है, ऐसे में कढ़ी व दही का पाचन करने में परेशानी हो सकती है। साथ ही वात की भी समस्या बनी रहती है।
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