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Sawan Masik Shivratri 2024: सावन की यह तिथि है खास, शिव जी की कृपा से पूर्ण होती हैं सभी इच्छाएं

हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाता है। यह तिथि पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित मानी जाती है। ऐसे में सावन माह में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि का महत्व और भी बढ़ जाता हैं। ऐसे में आप मासिक शिवरात्रि पर इस दिव्य स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं इससे आपको पूजा का दोगुना फल मिलता है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 12 Jul 2024 10:50 AM (IST)
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Sawan Masik shivratri 2024 सावन मासिक शिवरात्रि पर जरूर करें ये काम।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन माह के साथ-साथ मासिक शिवरात्रि भी भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम मानी गई है। इस विशेष दिन पर समस्त शिव परिवार की पूजा-अर्चना करने से महादेव की कृपा प्राप्त हो सकती है। ऐसा कहा जाता है कि भोलेनाथ केवल जलाभिषेक से भी प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन यदि आप सावन मासिक शिवरात्रि के दिन शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं, तो इससे आपको शुभ परिणाम देखने को मिल सकते हैं। आइए पढ़ते हैं रुद्राष्टकम स्तोत्र।

सावन मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त (Sawan Masik shivratri Puja Muhurat)

सावन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 02 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इस तिथि का समापन 03 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर होगा। ऐसे में मासिक शिवरात्रि का व्रत 02 अगस्त 2024, शुक्रवार के दिन किया जाएगा। मासिक शिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा निशिता काल में की जाती है। ऐसे में पूजा मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा -

सावन मासिक शिवरात्रि पूजा मुहूर्त - रात 12 बजकर 06 मिनट से रात 12 बजकर 49 मिनट तक

शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र (Rudrashtakam Stotram)

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं ।

विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं ।

चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।1।।

निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं ।

गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।।

करालं महाकालकालं कृपालं ।

गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ।।2।।

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं ।

मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।।

स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा ।

लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।।3।।

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं ।

प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।।

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं ।

प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ।।4।।

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं ।

अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।।

त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं ।

भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।।5।।

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी ।

सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।।

चिदानन्दसंदोह मोहापहारी ।

प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।6।।

न यावद् उमानाथपादारविन्दं ।

भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।

न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं ।

प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ।।7।।

न जानामि योगं जपं नैव पूजां ।

नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।।

जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं ।

प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ।।8।।

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।9।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।