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Sawan Pradosh Vrat 2023: इस वर्ष सावन में 02 की जगह 04 प्रदोष व्रत रखने का मिलेगा सौभाग्य

Sawan Pradosh Vrat 2023 इस वर्ष 03 जुलाई 2023 मंगलवार के दिन से सावन का पवित्र महीना शुरू होने जा रहा है। हिन्दू धर्म में इस पवित्र माह का विशेष महत्व है। मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही इस माह में प्रदोष व्रत रखने का भी विशेष महत्व है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sun, 02 Jul 2023 11:33 AM (IST)
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Sawan Pradosh Vrat 2023: जानिए सावन में प्रदोष व्रत की तिथि और महत्व।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Sawan Pradosh Vrat 2023: सावन मास में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। बता दें कि इस वर्ष 04 जुलाई से सावन का पवित्र महीना शुरू हो रहा है। वहीं वर्ष 2023 में शिव भक्तों को सावन मास में चार प्रदोष व्रत रखने का सौभाग्य प्राप्त होगा। शास्त्रों में बताया गया है कि सावन के महीने में प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव सर्वाधिक प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं। आइए जानते हैं सावन के महीने में कब-कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत, मुहूर्त और इसका महत्व?

कब-कब रखा जाएगा सावन 2023 प्रदोष व्रत?

हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2023 में अधिक मास के करण सावन 02 महीने का होने वाला है, जिस वजह से सावन प्रदोष व्रत की संख्या भी 2 से बढ़कर 4 हो जाएगी। पंचांग में बताया गया है कि प्रत्येक माह के त्रयोदशी तिथि के दिन व्रत रखा जाता है। जानते हैं सावन में कब-कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत।

सावन का प्रथम प्रदोष व्रत- 14 जुलाई 2023, शुक्रवार

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 14 जुलाई 2023 शाम 7:17 से

त्रयोदशी तिथि समाप्त: 15 जुलाई 2023 रात्रि 8:32 तक

प्रदोष पूजा समय: शाम 07:21 से रात्रि 09:24 तक

सावन का द्वितीय प्रदोष व्रत- 30 जुलाई 2023, रविवार

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 30 जुलाई सुबह 10:34 से

त्रयोदशी तिथि समाप्त: 31 जुलाई सुबह 7:26 तक

प्रदोष पूजा समय: शाम 07:14 से रात्रि 09:19 तक

सावन का तृतीय प्रदोष व्रत- 13 अगस्त 2023, रविवार

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 13 अगस्त सुबह 08:19 से

त्रयोदशी तिथि समाप्त: 14 अगस्त सुबह 10:25 तक

प्रदोष पूजा समय: शाम 07:30 से रात्रि 09:12 तक

सावन का अंतिम प्रदोष व्रत- 28 अगस्त 2023, सोमवार

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 28 अगस्त शाम 06:22 से

त्रयोदशी तिथि समाप्त: 29 अगस्त दोपहर 02:47 तक

प्रदोष पूजा समय: शाम 06:48 से रात्रि 09:02 तक

सावन प्रदोष व्रत का क्या है महत्व?

सावन का महीना भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में प्रदोष व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति, धन वृद्धि और ग्रह दोष से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस विशेष दिन पर प्रदोष काल में पूजा-पाठ करने से जातक के जीवन में आ रही समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। मान्यता यह भी है कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।