Sawan Purnima vrat 2023: पूर्णिमा व्रत के दिन जरूर करें श्री सत्यनारायण कथा, जानिए इसकी महिमा
Sawan Purnima 2023 हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन पूर्णिमा तिथि पड़ती है। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। 30 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा व्रत किया जाएगा। सावन के महीने में आने के कारण इसे श्रावणी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। पूर्णिमा के इस विशेष अवसर पर श्रीसत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा करना शुभ फलदायी माना जाता है।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Sun, 27 Aug 2023 11:32 AM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Sawan Purnima 2023: वर्ष 2023 में सावन मास की शुक्ल पक्ष की दूसरी पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को पड़ रही है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा और व्रत करना बहुत ही शुभ माना जाता है। सावन माह में आने के कारण पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं श्री सत्यनारायण की कथा की महीमा।
श्री सत्यनारायण कथा की महिमा (Shri Satyanarayan Katha)
एक बार योगी नारद जी ने भ्रमण करते हुए मृत्युलोक के प्राणियों को अपने-अपने कर्मों के अनुसार तरह-तरह के दुखों से परेशान होते देखा। इससे उनका हृदय द्रवित हो उठा और वे वीणा बजाते हुए अपने परम आराध्य भगवान श्रीहरि की शरण में क्षीरसागर पहुंच गए और स्तुतिपूर्वक बोले, 'हे नाथ! यदि आप मेरे ऊपर प्रसन्न हैं तो मृत्युलोक के प्राणियों की व्यथा हरने वाला कोई उपाय बताने की कृपा करें।' तब भगवान ने कहा, 'हे वत्स! तुमने विश्वकल्याण की भावना से बहुत सुंदर प्रश्न किया है। अत: आज मैं तुम्हें ऐसा व्रत बताता हूं जो स्वर्ग में भी दुर्लभ है और महान पुण्य दायक है तथा मोह के बंधन को काट देने वाला है। जो भी व्यक्ति श्रीसत्यनारायण व्रत विधि-विधान से करता है उसे सांसारिक सुखों को भोगकर परलोक में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कथा के अनुसार, एक शतानंद नाम का दीन ब्राह्मण था। वह अपने परिवार का पेट भरने के लिए भिक्षा मांगता था। ब्राह्मण ने सत्याचरण व्रत का किया और भगवान सत्यनारायण की विधिपूर्वक पूजा की। इसके बाद ब्राह्मण को सुख की प्राप्ति हुई और वो अंतकाल सत्यपुर में प्रवेश कर गया। ठीक इसी तरह एक काष्ठ विक्रेता भील व राजा उल्कामुख भी निष्ठावान सत्यव्रती थे। ये भी सत्यनारायण की विधिपूर्वक पूजा करते थे। यह व्रत करने से इन्हें भी दुखों से मुक्ति मिल गई।
श्री सत्यनारायण की कथा बताती है कि व्रत-पूजन करने पर प्रत्येक व्यक्ति का समान अधिकार है। चाहे वह निर्धन, धनवान, राजा हो या व्यवसायी, ब्राह्मण हो या अन्य वर्ग, स्त्री हो या पुरुष। श्री सत्यनारायण कथा का यह निष्कर्ष निकलता है कि जिस किसी ने सत्य के प्रति श्रद्धा-विश्वास किया, उन सबके कार्य सिद्ध हो गये। जैसे लकड़हारा, गरीब ब्राह्मण, उल्कामुख, गोपगणों ने सुना कि यह व्रत सुख, सौभाग्य, संतति, संपत्ति सब कुछ देने वाला है तो सुनते ही श्रद्धा, भक्ति तथा प्रेम के साथ सत्यव्रत का आचरण करने में लग गये और फलस्वरूप इहलौकिक सुख भोगकर परलोक में मोक्ष के अधिकारी हुए।
डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'