Shani Pradosh Vrat 2024: इस दिन मनाया जाएगा सावन का अंतिम प्रदोष व्रत, नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
प्रदोष व्रत भगवान शंकर को बहुत प्रिय है। महीने में दो प्रदोष व्रत आते हैं। इस बार यह व्रत 17 अगस्त को रखा जाएगा। ज्योतिष की दृष्टि से प्रदोष का विशेष महत्व है। इस दौरान कठिन व्रत का पालन करने और सच्ची श्रद्धा के साथ व्रत रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशहाली आती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रदोष व्रत का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है, जो भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन का व्रत करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान, सफलता और समृद्धि जीवन की प्राप्ति होती है। प्रदोष का अर्थ है अंधकार को दूर करना।
इस साल सावन का आखिरी प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat 2024) 17 अगस्त को मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस कठिन उपवास का पालन करने से व्यक्ति को समस्त बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि 17 अगस्त को सुबह 08 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 18 अगस्त को सुबह 05 बजकर 50 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए इस साल सावन माह का प्रदोष व्रत 17 अगस्त को मनाया जाएगा। ऐसे में शिव जी की पूजा-अर्चना संध्याकाल में करें, क्योंकि इस तिथि पर शाम की पूजा का ही महत्व है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
पूजा शुरू करने से पहले सुबह जल्दी उठें और स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। भगवान शंकर और माता पार्वती के सामने व्रत का संकल्प लें। एक चौकी पर शिव परिवार की प्रतिमा विराजमान करें। गंगाजल से प्रतिमा को अच्छी तरह साफ करें। देसी घी का दीपक जलाएं और कनेर के फूलों की माला अर्पित करें। चंदन व कुमकुम का तिलक लगाएं। खीर, हलवा, फल, मिठाइयों, ठंडई, लस्सी आदि का भोग लगाएं।प्रदोष व्रत कथा, पंचाक्षरी मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करें। प्रदोष पूजा शाम के समय ज्यादा फलदायी मानी जाती है, ऐसे में प्रदोष काल में ही पूजा करें। अगले दिन अपने व्रत का पारण करें। साथ ही तामसिक चीजों से दूर रहें।यह भी पढ़ें: Sawan Fourth Somvar 2024: आज है सावन का चौथा सोमवार, नोट करें भोग-पूजन नियम से लेकर सबकुछ
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