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Guru Pradosh Vrat 2024: शिव प्रदोष व्रत पर करें इन मंगलकारी मंत्रों का जप, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह पर्व (Guru Pradosh Vrat 2024) हर पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। इस विशेष तिथि पर कई शुभकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 30 Jul 2024 08:11 PM (IST)
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Lord Shiva: कब मनाया जाएगा सावन का पहला प्रदोष व्रत ?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Guru Pradosh Vrat 2024: ज्योतषीय गणना के अनुसार, 1 अगस्त को सावन माह का पहला प्रदोष व्रत है। यह पर्व पूर्णतया देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वर पाने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। साथ ही शत्रुओं का नाश होता है। अतः साधक श्रद्धा भाव से प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा करते हैं। अगर आप भी महादेव की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो गुरु प्रदोष व्रत पर पूजा के समय इन मंत्रों का जप अवश्य करें।

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गुरु प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 01 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 28 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 02 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत पर संध्याकाल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसके लिए गुरुवार 01 अगस्त को सावन माह का पहला प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।

शिव मंत्र

1. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

2. करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।

विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥

3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

4. ऊँ अघोरेभ्यो अथघोरेभ्यो, घोर घोर तरेभ्यः। सर्वेभ्यो सर्व शर्वेभ्यो, नमस्ते अस्तु रूद्ररूपेभ्यः।।

5. नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।

6. निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाश माकाश वासं भजेऽहं।।

7. ऊँ क्लीं क्लीं क्लीं वृषभारूढ़ाय वामांगे गौरी कृताय क्लीं क्लीं क्लीं ऊँ नमः शिवाय।।

8. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

9. सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।

उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥

परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।

सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥

वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।

हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥

एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।

10. ऊँ ह्लीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।