Sawan Shivratri 2024: दशकों बाद सावन शिवरात्रि पर 'भद्रावास' योग का हो रहा है निर्माण, प्राप्त होगा दोगुना फल
हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि (Sawan Shivratri 2024) मनाई जाती है। इस दिन देवों के देव महादेव संग जगत जननी मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। अविवाहित जातकों की शीघ्र शादी हो जाती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 24 Jul 2024 07:53 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। शिव पुराण में निहित है कि सावन माह में भगवान शिव ने मां पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार्य किया था। अत: सावन माह में भगवान शिव संग मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि सावन महीने में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनचाहा वर मिलता है। धार्मिक मत है कि सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा-उपासना करने से विवाहित स्त्रियों को अखंड सुहाग की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवाहित जातकों की शीघ्र शादी के योग बनते हैं। इस शुभ तिथि पर भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। आइए, सावन शिवरात्रि की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
सावन शिवरात्रि शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 02 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और इसके अगले दिन यानी 03 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा निशा काल में होती है। इसके लिए 02 अगस्त को सावन शिवरात्रि मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का समय देर रात 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक है। इस समय में साधक भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा कर सकते हैं।भद्रावास योग
ज्योतिषियों की मानें तो सावन शिवरात्रि पर दुर्लभ भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दोपहर 03 बजकर 26 मिनट से हो रहा है। वहीं, इस योग का समापन 03 अगस्त को देर रात 03 बजकर 35 मिनट पर होगा। इस दौरान भद्रा स्वर्ग में रहेंगी। भद्रा के स्वर्ग और पाताल में रहने से पृथ्वी पर रहने वाले समस्त जीवों का कल्याण होता है। इस समय में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय और दोगुना फल प्राप्त होता है।