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Sawan Shivratri 2024: सावन माह की शिवरात्रि पर ऐसे करें भगवान शिव को प्रसन्न, होगा सभी मुश्किलों का अंत

सावन के दौरान आने वाली मासिक शिवरात्रि का अपना एक खास महत्व है। यह बेहद कल्याणकारी मानी जाती है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और शिव-पार्वती की पूजा करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार मासिक शिवरात्रि 02 अगस्त को मनाई जाएगी। ऐसे में इस पवित्र दिन पर भोलेनाथ की विधिवत पूजा करें और लिंगाष्टकम स्तोत्र (Shiv Lingastakam Stotra) का पाठ करें।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 26 Jul 2024 01:58 PM (IST)
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Sawan Shivratri 2024: लिंगाष्टकम स्तोत्र (Shiv Lingastakam Stotra) का पाठ-

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन माह के दौरान आने वाली मासिक शिवरात्रि को बेहद पावन माना जाता है। यह श्रावण मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व भगवान शिव और मां पार्वती के मिलन का प्रतीक है। बता दें, सावन और शिवरात्रि दोनों ही भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं, ऐसे में इस शुभ अवसर शिवलिंग पर पंचाक्षरी मंत्र का जाप करते हुए जल चढ़ाएं। फिर बेलपत्र अर्पित करें। इसके बाद लिंगाष्टकम स्तोत्र (Shiv Lingastakam Stotra) का पाठ करें।

ऐसा करने से शिव कृपा प्राप्त होगी। साथ ही जीवन का हर दुख दूर होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल सावन की मासिक शिवरात्रि 02 अगस्त को मनाई जाएगी।

।।लिंगाष्टकम स्तोत्र (Shiv Lingastakam Stotra)।।

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।

जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥

देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।

रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥

सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।

सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥

कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् ।

दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥४॥

कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।

सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥५॥

देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।

दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥६॥

अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।

अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥७॥

सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।

परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥८॥

लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,

भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,

तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥॥

मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,

नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।

मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,

तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥॥

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,

सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।

श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,

तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥॥

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,

मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।

चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,

तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥॥

यक्षस्वरूपाय जटाधराय,

पिनाकहस्ताय सनातनाय ।

दिव्याय देवाय दिगम्बराय,

तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥॥

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

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