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Sawan Shivratri 2024: सावन शिवरात्रि पर जरूर करें व्रत कथा का पाठ, जीवन में नहीं रहेगा कोई दुख

हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाता है। इस दिन पर भगवान शिव की विशेष विधि-विधान से पूजा की जाती है। सावन में आने वाली मासिक शिवरात्रि को मनोकामना पूर्ति के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन की पूजा में शिवरात्रि कथा का पाठ करना भी शामिल है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं सावन शिवरात्रि की दिव्य कथा।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 01 Aug 2024 05:51 PM (IST)
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Sawan Shivratri 2024 सावन शिवरात्रि पर जरूर करें व्रत कथा का पाठ।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पूरे सावन माह के साथ ही मासिक शिवरात्रि भी भगवान शिव की आराधना के लिए एक उत्तम दिन है। इस बार सावन माह की शिवरात्रि शुक्रवार, 02 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से रात 12 बजकर 49 मिनट तक रहने वाला है।

पढ़िए मासिक शिवरात्रि की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में अमीर साहूकार रहता था। उस साहूकार के कोई संतान नहीं थी जिस कारण वह अत्यंत दुखी रहता था। वह साहूकार संतान प्राप्ति के लिए प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की उपासना करता था और संध्या काल में मंदिर में जाकर भगवान शिव के समीप दीप जलाता था। उसकी भक्ति को देखते हुए, एक दिन माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि, आप अपने इस सच्चे भक्त को संतान प्राप्ति का वरदान क्यों नहीं देते। तब भगवान शिव कहते हैं कि साहूकार को पिछले जन्म के कर्मों के संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है।

लेकिन माता पार्वती भगवान शिव से आग्रह करने लगी कि वह साहूकार को संतान प्राप्ति का वर दें। माता पार्वती के इस आग्रह पर भगवान भोलेनाथ ने साहूकार के सपने में आकर उसे संतान प्राप्ति का वरदान दिया। लेकिन साथ ही यह भी कहा कि तुम्हारे पुत्र का आयु कम होगी और वह केवल 16 वर्ष तक ही जीवित रहेगा।

पुत्र को शिक्षा के लिए भेजा

साहूकार को यह सुनकर बहुत खुशी हुई लेकिन साथ ही संतान को कुछ समय बाद खोने के विचार से चिंतित भी हो गया। उसने पूरी बात अपनी पत्नी को बताई। कुछ समय बाद साहूकार की पत्नी गर्भवती हो गई और उसने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। उन्होंने अपने पुत्र का नाम अमर रखा। जब अमर 11 वर्ष का हुआ तो साहूकार ने उसे अपने मामा के साथ शिक्षा ग्रहण करने के लिए काशी भेज दिया। साहूकार ने पुत्र को कुछ धन भी दिया और कहा कि रास्ते में ब्राह्मणों को भोजन अवश्य कराना।

इसके बाद दोनों मामा-भांजे यात्रा करते हुए विश्राम के लिए एक राज्य में रुके। जिस राज्य में वह रुके वहां पर एक राजकुमार और राजकुमारी का विवाह हो रहा था। लेकिन वह राजकुमार काणा था और यह बात किसी को पता नहीं थी। राजकुमार के पिता को इस बात की चिंता हुई कि अगर राजकुमारी को यह पता बात पता चल गई तो वह विवाह नहीं करेगी। तब उस राजकुमार के पिता ने साहूकार के पुत्र को देखकर उससे राजकुमार की जगह मंडप में बैठने का आग्रह किया।

राजकुमारी से हुआ विवाह

अमर, ने उस राजा की बात मान ली और मंडप में बैठ गया। इस प्रकार राजकुमारी और अमर से हो गया। विवाह के बाद बालक अपने मामा के साथ काशी के चला गया और जाते-जाते उसने राजकुमारी को सारी बात बता दी। सच जानकार, राजकुमारी ने उस राजकुमार के साथ जाने से मना कर दिया।

कुछ समय बाद वह बालक 16 वर्ष का हो गया। तब उसके मामा ने एक यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ के बाद उन्होंने ब्राह्मणों को भोजन कराया और दान-दक्षिणा दी। इसके बाद बालक की तबीयत खराब होने लगी और वह मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़ा। इस दौरान उसकी मृत्यु हो गई। यह देखकर मामा जोर-जोर से विलाप करने लगा। उसी समय भगवान शिव और माता पार्वती उस मार्ग से गुजर रहे थे। तब माता पार्वती ने भगवान शिव से आग्रह किया कि वो उस व्यक्ति का कष्ट दूर करें।

जीवनदान का दिया आशीर्वाद

तब भगवान शिव में देवी पार्वती को सारी बात बतलाई। तब माता पार्वती ने कहा कि इस बालक का पिता पिछले 16 वर्षों से सोमवार का व्रत करता है और आपके समक्ष दीप जलाता है। कृपया आप इसके दुखों को दूर करें। माता पार्वती की बात सुनकर भगवान शिव ने अमर को जीवन का वरदान दिया। यह देखकर उसके मामा को अति प्रसन्नता हुई। जब वह दोनों काशी से वापस घर जाने लगे तो रास्ते में उन्हें वहीं राजकुमारी मिली जिससे अमर का विवाह हुआ था। राजकुमारी अमर को देखकर तुरंत पहचान गई और राजा ने भी प्रसन्नतापूर्वक अपनी पुत्री को अमर के साथ विदा कर दिया।

वहीं दूसरी ओर साहूकार और उसकी पत्नी यह सोचकर बहुत दुखी थे कि 16 वर्ष के बाद उनके पुत्र की मृत्यु हो जाएगी। लेकिन जब उन्होंने देखा कि उनका पुत्र अपनी वधु के साथ सुरक्षित घर आ रहा है, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इस प्रकार भगवान शिव की निरंतर उपासना से साहूकार को न केवल पुत्र प्राप्ति हुई बल्कि उसे जीवनदान भी मिला।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।