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Chaitra Navratri 2023: इन सिद्धि पूर्ण करने वाले मंत्रों के जरिए प्रियजनों को दें चैत्र नवरात्रि की शुभकामनाएं

Navratri Wishes In Sanskrit चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना विधि विधान पूर्वक की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि श्रद्धा भाव से मां की भक्ति और पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 22 Mar 2023 10:28 AM (IST)
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Chaitra Navratri 2023: इन सिद्धि पूर्ण करने वाले संस्कृत मंत्रों के जरिए अपने प्रियजनों को दें चैत्र नवरात्रि की शुभकामनाएं
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Navratri Wishes In Sanskrit: हिंदी पंचांग के अनुसार, चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है। इस प्रकार साल 2023 में चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से लेकर 30 मार्च है। आज घटस्थापना है। चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना विधि विधान पूर्वक की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि श्रद्धा भाव से मां की भक्ति और पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती है। साथ ही समस्त पाप मिट जाते हैं। नवरात्रि को लेकर देशभर में धूम है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर जाकर माता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। इस मौके पर लोग एक दूसरे को संदेश के जरिए नवरात्रि की शुभकामनाएं भी दे रहे हैं। आप भी इन सिद्धि पूर्ण करने वाले मंत्रों के जरिए अपने प्रियजनों को संस्कृत में चैत्र नवरात्रि की शुभकमनाएं दे सकते हैं-

1.

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

2.

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।

दारिद्र्य दु:ख भयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता।।

3.

सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।

महिषासुरनिर्नाशि भक्तानां सुखदे नमः। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

कलाकाष्ठादिरूपेण परिणामप्रदायिनि। विश्वस्योपरतौ शक्ते नारायणि नमोऽस्तु ते।।

4.

शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते ॥

5

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

6.

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

7.

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

8.

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

9.

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

10.

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

11.

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

12

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ ||

ॐ ह्रीं दुं दुर्गाय नमः ॥

13.

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

14.

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

15.

या देवी सर्वभू‍तेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।