September Supermoon 2023: आज दिखेगा साल का आखिरी सुपरमून, जानें इसका धार्मिक महत्व
September Full Harvest Moon 2023 हिंदू धर्म में पूर्णिमा महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होता है। कई लोग इस दिन व्रत करते हैं और चंद्र देव को अर्घ्य देते हैं। भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की भी शुरुआत होती है इसलिए इस तिथि का महत्व और भी बढ़ जाता है।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Fri, 29 Sep 2023 10:33 AM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Bhadrapada Purnima 2023: हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है जिसे अंग्रेजी में फुल मून कहा जाता है। वर्ष 2023 का आखिरी सुपरमून, जिसे हार्वेस्ट मून के नाम से जाना जाता है, 28 सितंबर और 29 सितंबर को दिखाई देगा। आइए जानते हैं सुपरमून का धार्मिक महत्व क्या है।
पूर्णिमा का महत्व (Supermoon Importance)
भाद्रपद की यह पूर्णिमा वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टि दोनों से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी की कक्षा में सबसे निकटतम बिंदु पर होगा। इस दौरान सुपरमून को देखने का सबसे अच्छा समय चंद्रोदय माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, चंद्र दर्शन ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।
ऐसे में चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। माना जाता है कि पूर्णिमा की रात चंद्रमा को अर्घ्य देने पर मानसिक रूप से मजबूती मिलती है। पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण पूजा-अर्चना करने और सत्यनारायण की कथा सुनने का भी विधान है।
पूर्णिमा पर चंद्र अर्घ्य समय
पूर्णिमा तिथि पर व्रत रखकर भगवान सत्यनारायण, चंद्र देव और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। व्रत के दिन ही शाम को व्रत को चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। ऐसे में 28 सितंबर को चंद्र देव की पूजा करने के बाद अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन आप शाम 05 बजकर 42 मिनट से चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं। अर्घ्य देते समय चंद्र देव की पूजा करें और उन्हें दूध, जल और फूल से अर्घ्य दें।
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स्नान-दान की तिथि
पूर्णिमा तिथि पर व्रत और दान दो अलग-अलग दिन किया जाता है। पूर्णिमा दिन पवित्र नदी जैसे गंगा आदि में स्नान करने और जरूरतमंदों को अपनी क्षमतानुसार दान करने का विशेष महत्व है। ऐसे में भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत 28 सितंबर, गुरुवार के दिन किया जाएगा। वहीं स्नान और दान 29 सितंबर शुक्रवार के दिन जाएगा।
क्योंकि स्नान और दान के लिए उदया तिथि को सबसे उत्तम माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा की उदया तिथि 29 सितंबर को है। ऐसे में इसी दिन ही पवित्र नदी में स्नान और दान आदि किया जा सकेगा।डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'