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Shabari Jayanti 2024: ऐसे हुई थी माता शबरी से भगवान श्रीराम की भेंट, जानिए इससे जुड़ी कथा

मां शबरी भील समुदाय और शबर जाति से थीं। वे आज भी भक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रभु श्रीराम (Lord Rama) ने वनवास के दौरान देवी शबरी से भेंट की थी। आज शबरी जयंती (Shabari Jayanti 2024) मनाई जा रही है। यह हर साल फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sun, 03 Mar 2024 11:34 AM (IST)
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Shabari Jayanti 2024: कौन थीं माता शबरी ?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shabari Jayanti 2024: माता शबरी भगवान श्रीराम के परम भक्तों में से एक थीं, वे आज भी भक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्रभु श्रीराम ने वनवास के दौरान देवी शबरी से भेंट की थी। आज शबरी जयंती मनाई जा रही है। यह हर साल फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को आती है।

इस दिन साधक मां शबरी के साथ प्रभु राम की पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस पवित्र दिन का उपवास रखते हैं और भक्तिपूर्ण पूजा करते हैं उन्हें राम जी का आशीर्वाद सदैव के लिए प्राप्त होता है।

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कौन थीं माता शबरी ?

शास्त्रों के अनुसार, रामायण काल ​​में जिस जगह पर शबरी माता की भगवान राम से मुलाकात हुई थी, वह स्थान अब छत्तीसगढ़ में शिवरीनारायण के नाम से जाना जाता है। बिलासपुर से 64 किलोमीटर दूर महानदी के तट पर प्राचीन शहर शिवरीनारायण स्थित है। मां शबरी भील समुदाय और शबर जाति से थीं। ऐसा कहा जाता है कि उनका विवाह एक भील व्यक्ति से तय किया गया था, लेकिन विवाह की तैयारी में सैकड़ों जानवरों की बलि देखकर वे अपना विवाह छोड़कर चली गई थीं।

तब मतंग ऋषि ने उन्हें अपने आश्रम में आश्रय दिया था। अपने अंतिम क्षणों में, मतंग ऋषि ने शबरी से कहा था कि वह अपने आश्रम में भगवान राम और लक्ष्मण की प्रतीक्षा करें, क्योंकि वे एक दिन उनसे मिलने अवश्य आएंगे। अंत में जब भगवान राम आए, तो शबरी ने उन्हें खाने के लिए कुछ रसीले बेर दिए, जिसे खाकर भगवान राम ने उनकी इच्छा पूरी की। साथ ही उन्हें अपने बैकुंठ धाम में स्थान दिया।

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