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Shakambhari Jayanti 2023: कब है शाकंभरी जयंती? जानिए तिथि, पूजा-विधि और उपाय

Shakambhari Jayanti 2023 पौष मास के पूर्णिमा तिथि के शाकंभरी जंयती पर्व मनाया जाता है। माता शाकंभरी मां दुर्गा के ही अनन्य रूपों में से एक हैं जिनका अवतरण सृष्टि पर अकाल को दूर करने और खुशहाली लाने के लिए हुआ था।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Thu, 05 Jan 2023 01:08 PM (IST)
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Shakambhari Jayanti 2023 शाकंभरी जयंती कब है जानें तिथि और शुभ मुहूर्त?

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Shakambhari Jayanti 2023: कल यानी 6 जनवरी को पौष पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा। इस दिन माता शाकंभरी की जयंती भी मनाई जाएगी। मां शाकंभरी को वनस्पति की देवी के रूप में जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार मां शाकंभरी, मां दुर्गा के अनन्य रूपों में एक सौम्य रूप हैं, जिन्होंने पृथ्वी लोक पर पानी और खाद्य की गंभीर समस्याओं को दूर करने के लिए पृथ्वी लोक पर अवतरण लिया था। माना यह भी जाता है कि शाकंभरी जयंती के दिन मां शाकंभरी की पूजा करने से व्यक्ति को कभी भी अन्न या धन की कमी नहीं होती है और वह सदैव अपना जीवन सुख में बिताता है। आइए जानते हैं माता शाकंभरी जयंती का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

शाकंभरी जयंती 2023 शुभ मुहूर्त (Shakambhari Jayanti 2023 Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार माता शाकंभरी जी का जयंती पर्व पौष मास की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष पौष पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 6 जनवरी 2023 प्रातः 02:14 पर हो रहा है और इसका समापन अगले दिन 7 जनवरी 2023 सुबह 4:37 पर होगा। इस दिन को शाकंभरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

माता शाकंभरी पूजा विधि (Shakambhari Jayanti 2023 Puja Vidhi)

शाकंभरी जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें व नए अथवा साफ वस्त्र पहने। इसके बाद शुभ दिशा में चौकी स्थापित करें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। इसके बाद चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें और मां शाकंभरी को स्मरण करते हुए हल्दी, कुमकुम, अक्षत व श्रृंगार का सामान अर्पित करें। साथ ही माता को ताजे फल एवं सब्जियों का भोग अवश्य लगाएं और "शाकंभरी नीलवर्णानीलोत्पलविलोचना।मुष्टिंशिलीमुखापूर्णकमलंकमलालया।।" इस मंत्र का जाप करें। अंत में देवी शाकंभरी की कथा सुनें और आरती करना ना भूलें।

शाकंभरी पूर्णिमा के उपाय (Shakambhari Jayanti 2023 Upay)

मां दुर्गा के इस सौम्य स्वरूप को शताक्षी के नाम से भी जाना जाता है। किवदंतियों में बताया गया है कि जब सृष्टि पर भीषण अकाल पड़ा था। तब अपने भक्तों को इस विकराल समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए शाकंभरी देवी ने अवतार लिया था। वैदिक कथाओं में बताया गया है कि मां शाकंभरी के हजारों की संख्या में आंखें हैं। जिनसे 9 दिनों तक अश्रु के रूप में पानी की धाराएं बहने लगी थी। उसी पानी से सृष्टि ओर पुनः हरियाली आ गई थी। इसलिए पौष पूर्णिमा के दिन माता शाकंभरी को प्रसन्न करने के लिए जरूरतमंदों में अनाज, सब्जी व फल और अन्न का दान अवश्य करना चाहिए। अगर ऐसा ना कर पाएं तो किसी देवालय में भंडारा इत्यादि के लिए पैसों का दान कर दें।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।