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Shakun Shastra: क्या संकेत देता है कौए का घर पर आना, केवल बुरे ही नहीं मिल सकते हैं अच्छे परिणाम भी

हिंदू धर्म में कई पशु-पक्षियों को शुभ या अशुभ संकेतों से जोड़कर देखा जाता है। इसमें से कौआ भी एक है जिसे लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। कई अवस्थाओं में कौए तो शुभ माना जाता है तो कुछ अवस्थाओं में यह कुछ अशुभ होने का संकेत देता है। तो चलिए जानते हैं कि कौए का दिखना कैसा होता है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 30 May 2024 11:42 AM (IST)
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Shakun Shastra क्या संकेत देता है कौए का घर पर आना?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shakun Shastra in Hindi: सनातन मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में पितरों के साथ-साथ कौए के लिए भोजन निकालने को भी शुभ माना जाता है। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इसके साथ ही कौए से और भी कई मान्यताएं जुड़ी हैं। ऐसे में जानते हैं कि कौए का आना या कौए का आवाज सुनना किस बात की ओर इशारा करता है। 

घर पर कौए का आना

ऐसा माना जाता है कि यदि सुबह-सुबह कौआ आपकी छत पर आकर बैठ गया है, तो इसका अर्थ है कि आपके घर में किसी मेहमान का आगमन होने वाला है। वहीं सुबह-सुबह उत्तर या पूर्व दिशा में कौए का बोलना भी किसी अतिथि का आगमन का संकेत देता है। या फिर इसका यह भी अर्थ माना जाता है कि आपकी अपने किसी पुराने मित्र से मुलाकात हो सकती है।

हो जाएं सतर्क

यदि आपके घर में कौए का झुंड में आते हुए दिखाई देता है, तो ऐसे में सतर्क होने की आवश्यकता है। क्योंकि इसे बिल्कुल भी शुभ नहीं माना जाता। इसका अर्थ है कि कोई अप्रिय घटना आपके परिवार में घट सकती है। इसके साथ ही अगर आपके घर में कौआ दक्षिण दिशा की ओर बैठकर बोलता है, तो इसे भी एक शुभ संकेत नहीं माना जाता है। यह घर में पितृ दोष होने की ओर संकेत करता है।  

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ये भी हैं मान्यताएं

पितृपक्ष में तो कौए को भोजन कराना शुभ माना ही जाता है। इसी के साथ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि आप किसी यात्रा पर जाने से पहले कौए को दही-चावल का भोग लगाते हैं, तो इससे यात्रा सफल होती है।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।