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Garuda Purana: महिलाओं का श्मशान घाट जाना क्यों है वर्जित, जानें क्या कहता है गरुड़ पुराण

हिंदू धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसे जला दिया दिया जाता है जिसे अंतिम संस्कार के नाम से जाना जाता है। अंतिम संस्कार 16वां संस्कार माना जाता है। अंतिम संस्कार की रस्में करने के बाद उसकी राख को पवित्र नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। हिंदू धर्म में महिलाओं का श्मशान घाट (Shamshan Ghat) जाना वर्जित है। आइए जानते हैं इसकी वजह के बारे में।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 01 Sep 2024 01:55 PM (IST)
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अंतिम संस्कार को लेकर शास्त्रों में बताए गए हैं कई नियम

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में कुल 16 संस्कार बताए गए हैं, जिसमें 16वां संस्कार अंतिम संस्कार माना जाता है। हिंदू धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के बाद कई परंपरा निभाई की जाती है। मृत्यु के बाद व्यक्ति का अंतिम संस्कार श्मशान घाट में किया जाता है, लेकिन हिंदू धर्म में श्मशान घाट में महिलाओं का जाना वर्जित है। क्या आपको पता है कि आखिर किस कारण से महिलाएं श्मशान घाट (Garuda Purana) में नहीं जाती हैं। अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तारपूर्वक।

ये है वजह

  • किसी की मृत्यु हो जाने के बाद घर में शोक का माहौल होता है। मृतक को जब श्मशान घाट ले जाया जाता है, तो वह समय बहुत ही पीड़ादायक माना जाता है। इसलिए महिलाओं का श्मशान घाट जाना वर्जित है। क्योंकि महिलाओं को अधिक संवेदनशील माना जाता है।

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  • गरुड़ पुराण (Garuda Purana) के अनुसार, श्मशान घाट में बुरी आत्माओं का वास माना जाता है। मृत्यु के दौरान शोक में डूबी महिलाएं अपने मन पर काबू नहीं रख पाती हैं। इसलिए महिलाओं का श्मशान घाट जाना वर्जित है।
  • व्यक्ति की मृत्यु के बाद घर और परिवार में शोक का माहौल होता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, शव को ले जाने के बाद उस इंसान की आत्मा कुछ दिनों तक घर में ही वास करती हैं। इसलिए घर को अकेला नहीं छोड़ा जाता है। इसी वजह से महिलाएं घर पर ही रहती हैं।
  • हिंदू धर्म में जो लोग अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट जाते हैं, तो मृतक के परिवार के लोग मुंडन करवाते हैं, लेकिन मुंडन औरतों और लड़कियों का कराना अशुभ माना जाता है। यह भी एक खास वजह है कि महिलाओं के श्मशान घाट न जाने की।
  • गरुड़ पुराण के अनुसार, अगर कोई महिला श्मशान घाट जाती हैं, तो उस पर बुरी शक्तियों का असर पड़ता है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।