Shani Amavasya 2024: इस साल कब है शनि अमावस्या? नोट करें शुभ मुहूर्त, तिथि एवं योग
सनातन धर्म में शनि अमावस्या का विशेष महत्व है। इस तिथि पर शनि देव की श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु व्रत रखा जाता है। मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। लोग अपने घरों के मुख्य द्वार पर नींबू-मिर्च लगाते हैं। इस दिन भक्तजन काले रंग के कपड़े पहनते हैं। साथ ही चप्पल और जूते का परित्याग करते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sat, 25 May 2024 01:07 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। shani Amavasya 2024: हर माह कृष्ण पक्ष में अमावस्या मनाई जाती है। यह तिथि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन पड़ती है। ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 05 जून को है। इसके अगले दिन ज्येष्ठ अमावस्या है। आसान शब्दों में कहें तो 06 जून को ज्येष्ठ अमावस्या है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन भगवान भास्कर के पुत्र शनिदेव का अवतरण (जन्म) हुआ है। अतः ज्येष्ठ अमावस्या को शनि अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही शनि दोष से मुक्ति पाने हेतु साधक व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मान्यता है कि शनिदेव की पूजा-उपासना करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट भी दूर हो जाते हैं। आइए, शनि अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं महत्व जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि 05 जून को संध्याकाल 07 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, समापन 06 जून को संध्याकाल 06 बजकर 07 मिनट पर होगा। कई प्रमुख व्रत-त्योहार को छोड़कर अन्य तिथियों की गणना उदया तिथि से होती है। अतः 06 जून को शनि अमावस्या मनाई जाएगी।महत्व
सनातन धर्म में शनि अमावस्या का विशेष महत्व है। इस तिथि पर शनि देव की श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु व्रत रखा जाता है। मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। लोग अपने घरों के मुख्य द्वार पर नींबू-मिर्च लगाते हैं। इस दिन भक्तजन काले रंग के कपड़े पहनते हैं। साथ ही चप्पल और जूते का परित्याग करते हैं।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 23 मिनट परसूर्यास्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट परचंद्रास्त- शाम 07 बजकर 27 मिनट परपंचांग
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तकविजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तकनिशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजे से 12 बजकर 40 मिनट तक यह भी पढ़ें: आखिर किस वजह से कौंच गंधर्व को द्वापर युग में बनना पड़ा भगवान गणेश की सवारी? अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।