Shani Dev: इस वजह से मिला था भगवान शनि को अपनी पत्नी से श्राप, आज भी पड़ता है भक्तों पर इसका असर
शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा का विधान है। छाया पुत्र की पूजा से जीवन में शुभता आती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग शनि देव की पूजा करते हैं उन्हें जीवन में कभी किसी चीज के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है। वहीं आज हम छाया पुत्र की टेढ़ी दृष्टि के बारे में बात करेंगे जिसके प्रभाव से व्यक्ति का जीवन संघर्षों से भर जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में भगवान शनि की पूजा बेहद फलदायी मानी जाती है। शनिदेव को न्याय का देवता भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि उनकी पूजा शनिवार के दिन उत्तम मानी जाती है। कहा जाता है कि शनि देव कर्म के आधार पर फल प्रदान करते हैं। इसलिए हर किसी को बुरे कर्मों को करने से बचना चाहिए। आपने अक्सर सुना होगा अगर किसी के ऊपर छाया पुत्र की नजर पड़ जाए,
तो उसकी उल्टी गिनती शुरू हो जाती है, तो आइए जानते हैं आखिर भगवान शनि (Shani Dev) अपनी नजरें नीचे झुकाकर क्यों रखते हैं?
इस वजह से मिला शनि देव को अपनी पत्नी से श्राप
शनि देव की शादी महाराज चित्ररथ की कन्या से हुआ था। उनकी पुत्री परम तेजस्वनी थी। वह सदैव पूजा-पाठ और भक्ति में लीन रहती थीं। एक बार वह शनि भगवान के पास संतान प्राप्ति की इच्छा लेकर पहुंची, लेकिन उस दौरान छाया नंदन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में पूरी तरह से लीन थे। उन्होंने काफी बार रवि पुत्र को तपस्या से उठाने का प्रयास किया, लेकिन उनका ध्यान भंग करने में असमर्थ रहीं।
श्राप नहीं हुआ निष्फल
अपने बार-बार किए गए प्रयास में असफल देवी ने क्रोध में आकर शनि देव को यह श्राप देते हुए कहा कि 'आज के बाद जिस व्यक्ति पर आपकी नजर पड़ेगी वो व्यक्ति तबाह हो जाएगा। साथ ही उसे लाखों मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि शनि देव ने इसके लिए क्षमा मांगी, फिर भी वह श्राप निष्फल नहीं हुआ।
इसके पश्चात भगवान शनि अपना सिर नीचे करके चलने लगे, ताकि उनकी दृष्टि किसी भी भक्त पर न पड़े और उसका जीवन सही दिशा पर चलता रहे।यह भी पढ़ें: Gupt Navratri 2024: आषाढ़ गुप्त नवरात्र पर की गई ये गलतियां पड़ सकती हैं भारी, न करें अनदेखाअस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।