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Shani Dev: शनिदेव को कैसे न्याय करने का अधिकार प्राप्त हुआ और क्यों मोक्ष प्रदाता हैं ?

वर्तमान समय में कुंभ राशि के जातकों पर साढ़े साती का दूसरा चरण चल रहा है। इस राशि में शनिदेव अगले साल 28 मार्च तक रहेंगे। इसके अगले दिन शनिदेव राशि (Shani Dev) परिवर्तन करेंगे। शनिदेव के राशि परिवर्तन से मकर राशि के जातकों को साढ़े साती से मुक्ति मिलेगी। वहीं मीन राशि के जातकों पर दूसरा चरण शुरू होगा।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Fri, 25 Oct 2024 09:27 PM (IST)
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Shani Dev: शनिदेव को कैसे प्रसन्न करें ?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में शनिवार का दिन न्याय के देवता शनि देव को समर्पित है। इस दिन शनि देव की पूजा की जाती हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त परेशानियों से निजात पाने के लिए शनिवार का व्रत रखा जाता है। शनि देव की पूजा-उपासना करने से साधक को सभी क्षेत्रों में विशेष सफलता मिलती है। शनिदेव की पूजा करने से व्यक्ति अल्प समय में ही धनवान बन जाता है। ज्योतिष भी आर्थिक तंगी से निजात पाने के लिए शनिदेव की पूजा करने की सलाह देते है। अतः साधक शनिवार के दिन भक्ति भाव से न्याय के देवता शनिदेव की पूजा करते हैं। अगर आप भी शनिदेव की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो भक्ति भाव से शनिदेव की पूजा करें। न्याय के देवता शनिदेव की विशेष कृपा आप पर अवश्य ही बरसेगी। लेकिन क्या आपको पता है कि शनिदेव को न्याय का देवता का वरदान कैसे प्राप्त हुआ और क्यों उन्हें मोक्ष प्रदाता कहा जाता है।

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कैसे प्राप्त हुआ वरदान ?

देवी छाया के प्रति सूर्य देव की कुंठित भावना थी। इसके चलते शनिदेव का सूर्य देव के साथ कटु संबंध था। मां छाया के प्रति सूर्य देव के रुष्ट व्यवहार से शनिदेव अपने पिता से अप्रसन्न रहते थे। शास्त्रों में वर्णित है कि देवी छाया देवों के देव महादेव की उपासक थीं। देवी छाया, महादेव की कठिन भक्ति करती थीं। इसके चलते उन्हें अपनी भी सुध नहीं रहती थी। शनिदेव के गर्भ में रहने के दौरान देवी छाया अपने आराध्य भगवान शिव की कठिन भक्ति करती थीं। इसका प्रभाव शनिदेव पर भी पड़ा और शनिदेव श्याम रूप में अवतरित हुए थे।

श्याम वर्ण शनिदेव को देख सूर्य देव ने देवी छाया पर आरोप लगाया कि शनिदेव उनका पुत्र नहीं है। इसके साथ ही सूर्य देव अपनी पत्नी छाया के साथ नाराज रहने लगे थे। मां के प्रति अपने पिता सूर्य देव के व्यवहार से शनिदेव कुंठित रहते थे। इसके लिए शनिदेव आत्मा के कारक सूर्य देव को अपना शत्रु मानते थे। उस समय शनिदेव ने ग्रहों में उच्च स्थान प्राप्त करने का प्रण लिया। मां छाया की तरह शनिदेव के सच्चे भक्त बनें।

शनिदेव को भक्ति माता जी से विरासत में मिली। शनिदेव ने ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ स्थान पाने के लिए भगवान शिव की कठिन तपस्या की। इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें न्याय करने का अधिकार दिया। इसके साथ ही शिवजी ने शनिदेव को मोक्ष प्रदान करने का भी वरदान दिया। इस वरदान को पाकर शनिदेव को ग्रहों में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त हुआ। साथ ही न्याय करने का अधिकार मिला।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।