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Shani Dev Puja : कितनी बार करनी चाहिए शमी के पेड़ की परिक्रमा? जानिए पूजा का सही तरीका

शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर भगवान शनि प्रसन्न हो जाए तो व्यक्ति को रंक से राजा बना देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि देव की पूजा और उन्हें प्रसन्न करने के कई सारे उपाय बताए गए हैं जिनमें से एक शमी के वृक्ष की पूजा भी है। तो आइए जानते हैं -

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sat, 17 Feb 2024 09:35 AM (IST)
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Shani Dev Puja: शमी के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करें
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shani Dev Puja: सनातन धर्म में शनि देव की पूजा बेहद शुभ मानी जाती है। शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा का विधान है। ऐसा कहा जाता है अगर शनि देव प्रसन्न हो जाए, तो व्यक्ति को रंक से राजा बना देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि देव की पूजा और उन्हें प्रसन्न करने के कई सारे उपाय बताए गए हैं, जिनमें से एक शमी के वृक्ष की पूजा भी है। तो आइए जानते हैं -

शमी के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करें

सनातन धर्म में ऐसे कई पौधे हैं, जिनकी पूजा करने से ग्रहों को संतुलित किया जा सकता है। जैसा कि आज हम शमी के पौधे की बात कर रहे हैं जिसका सीधा संबंध शनिदेव से है। इसकी पूजा जितनी विधि अनुसार की जाए, सूर्य पुत्र उतना प्रसन्न होते हैं।

ऐसा में शमी के वृक्ष पर जल में काले तिल मिलाकर चढ़ाएं। साथ ही उसकी 7 बार परिक्रमा करें। अंत में शनिदेव के मंत्रों का जाप करें। आरती से पूजा को पूर्ण करें। कई लोग एक या दो बार शमी के वृक्ष की परिक्रमा करते हैं, जो कि उचित नहीं है। शमी की परिक्रमा 7 बार करना ही उत्तम माना गया है।

ऐसे करें शनि देव की पूजा

सुबह उठकर भगवान पवित्र स्नान करें। इसके बाद अपने घर के मंदिर को अच्छी तरह से साफ करें। भगवान शनि का ध्यान करें। शनि देव की चालीसा और उनके मंत्रों का जाप करें। फल और मिठाई का भोग लगाएं। आरती भाव के साथ करें। शंखनाद करें। गरीबों की मदद करें।

शनि मंदिर जाकर शनि देव पर सरसों का तेल चढ़ाएं। पीपल के वृक्ष के समक्ष दीपक जलाएं और उसकी 7 बार परिक्रमा करें।

भगवान शनि का महामंत्र

ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

शनि देव का वैदिक मंत्र

ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।

शनि दोष निवारण मंत्र

ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।