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Shani Dosh: शनि की महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या में क्या है अंतर? जान लें बचाव के उपाय

अधिकतर लोग शनि ग्रह को एक क्रूर ग्रह मानते हैं। कई लोगों का यह भी मानना है कि शनि देव केवल अनिष्ट ही करते हैं लेकिन असल में ऐसा नहीं है। हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता और कर्मफलदाता माना जाता है। चूंकि वह प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 30 Aug 2024 04:01 PM (IST)
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Shani Dosh शनि की महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या में क्या है अंतर?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जब भी कभी किसी व्यक्ति के जीवन में मुश्किलें बढ़ने लगती हैं, तो यह माना जाता है कि शनि देव उसे पीड़ा दे रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि की ढैय्या, साढ़ेसाती और महादशा (Shani Sade Sati Vs Shani Dhaiya) का वर्णन मिलता है। साथ ही ज्योतिष शास्त्र में इनके प्रभाव को कम करने के लिए कई उपाय भी बताए गए हैं। तो चलिए जानते हैं कि इन तीनों के बीच क्या अंतर है।

शनि की महादशा -

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि की महादशा 19 साल तक चलती है। ऐसा माना जाता है कि हर व्यक्ति के जीवन में एक बार शनि की महादशा जरूर आती है। इस दौरान यदि कोई व्यक्ति अच्छे कर्म नहीं करता है, तो उसको धन की हानि झेलनी पड़ सकती है। इसलिए व्यक्ति को शनि की महादशा के प्रभाव को कम करने के लिए इस दौरान अच्छे कर्म करें और किसी के साथ छल-कपट और द्वेष की भावना न रखें। इसी के साथ जरुरतमंद लोगों में दान आदि करना और हनुमान चालीसा का पाठ करना भी एक बेहतर उपाय माना जाता है।

शनि की साढ़ेसाती 

शनिदेव जब किसी राशि में गोचर करते हैं, तो उस राशि के साथ-साथ उसके अगली और पिछली राशि पर भी शनि का साढ़ेसाती (Shani Sade Sati Upay) शुरू हो जाती है। शनि की साढ़ेसाती 07.05 साल तक चलती है। साढ़ेसाती को तीन चरणों में बांटा गया है होता है, जो ढाई-ढाई के होते हैं।

साढ़ेसाती को लेकर कहा जाता है कि यह हर व्यक्ति के जीवन में 2 बार आती है। इसमें व्यक्ति को करियर से लेकर लव लाइफ तक में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। शनि की साढ़े साती के प्रभाव से बचाव के लिए शनिवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद जल में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। इसी के साथ तेल, नमक, लोहा, अनाज और बर्तन आदि का दान करने से भी आपको लाभ प्राप्त हो सकता है।

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शनि की ढैय्या -  

जब शनि देव गोचर करके चंद्र राशि से चौथे या आठवें भाव में होते हैं, तब व्यक्ति पर शनि ढैय्या (Shani Sade Sati Vs Shani Dhaiya) शुरू हो जाती है। ज्योतिष शास्त्र की मानें, तो शनि की ढैय्या का समय ढाई साल का होता है। इसके कारण व्यक्ति को आर्थिक से लेकर शारीरिक समस्याओं तक का सामना करना पड़ सकता है। इसके अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए व्यक्ति को अच्छे कर्म करने चाहिए। शनिवार का व्रत रखें साथ ही हनुमान जी की पूजा करें। इससे आप शनि के अशुभ प्रभावों से बचे रहेंगे।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।