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Shani Dosh Upay: शरीर के इन अंगों पर पड़ता है शनि दोष का अधिक प्रभाव, जरूर रखें इनका ध्यान

Shani Dosh Upay ज्योतिष शास्त्र में शनि दोष को बहुत खतरनाक माना गया है। जिस जातक की कुंडली में शनि दोष होता है उसे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बता दें कि शनि दोष का प्रभाव शरीर के अंगों पर भी पड़ता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Fri, 21 Apr 2023 01:57 PM (IST)
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Shani Dosh: शरीर के इन अंगों पर पड़ता है शनि दोष का सबसे अधिक प्रभाव।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Shani Dosh Upay: ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों को महत्वपूर्ण माना गया है। साथ ही इन ग्रहों से संबंधित कई प्रकार के दोष के विषय में भी बताया गया है, जिसके कारण जातक को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हीं में से एक दोष है, शनि दोष, जिसे व्यक्ति के लिए बहुत ही खतरनाक माना जाता है।

बता दें कि शनि जातकों को कर्म के अनुसार फल प्रदान करते हैं। लेकिन जिस जातक की कुंडली में यह दुर्बल स्थिति में रहते हैं, उसे आर्थिक, मानसिक व शारीरिक रूप से कई प्रकार की समस्याओं का समाना करना पड़ता है। ज्योतिषविदों के अनुसार शनि दोष का प्रभाव व्यक्ति के अंगों पर भी पड़ता है। इसलिए शनि दोष के दौरान जातक को शरीर के तीन मुख्य अंगों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

शनि दोष से है पीड़ित तो इन अंगों का रखें विशेष ध्यान (Shani Dosh Effect)

दृष्टि- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी समय से पूर्व आंखें कमजोर होने लगती हैं तो इसका अर्थ है कि शनि का दुष्प्रभाव बढ़ रहा है। इसलिए व्यक्ति को अपनी आंखों का विशेष ध्यान रखना चाहिए और इन्हें मजबूत करने के लिए पौषक आहार का सेवन करते रहना चाहिए। आंखों की देखभाल करने से कई समस्याएं दूर हो जाती हैं।

नाभि- शनि का प्रभाव नाभि पर सबसे अधिक पड़ता है, जिससे नाभि रोग उत्पन्न होने लगता है। इसलिए नाभि को हमेशा साफ रखें। घी या सरसों तेल लगाते रहे। ऐसा करने से न केवल पेट की गर्मी शांत होती है, बल्कि आंखों और बालों को भी लाभ मिलता है। इससे जोड़ों के दर्द से भी निजात मिलता है।

हड्डी- एक स्वस्थ मनुष्य के लिए मजबूत हड्डी सबसे आवश्यक है और शनि दोष का प्रभाव हड्डियों पर भी पड़ता है। इसलिए व्यक्ति को अपनी हड्डियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए और समय-समय पर तेल से मालिश करना चाहिए। शनि दोष के कारण हड्डी टूटने का डर निरंतर बना रहता है। इसलिए शनिवार की शाम को छाया दान करें और हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।