Shani Jayanti 2024: इस शुभ मुहूर्त में करें न्याय के देवता शनिदेव की पूजा, चमक उठेगा सोया हुआ भाग्य
इस दिन न्याय के देवता शनिदेव की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु व्रत-उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि शनिदेव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं तो वैशाख अमावस्या पर इस शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से न्याय के देवता की पूजा करें।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 07 May 2024 12:36 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vaishakh Amavasya 2024: हर वर्ष ज्येष्ठ माह की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन यानी अमावस्या तिथि पर शनि जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष 06 जून को शनि जयंती है। वहीं, दक्षिण भारत में शनि जयंती वैशाख माह की अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है। अतः दक्षिण भारत समेत देश के कई हिस्सों में वैशाख अमावस्या यानी 08 मई को शनि जयंती मनाई जाएगी। इस दिन न्याय के देवता शनिदेव की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु व्रत-उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि शनिदेव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अगर आप भी मोक्ष प्रदाता शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं, तो वैशाख अमावस्या पर इस शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से न्याय के देवता की पूजा करें।
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शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, वैशाख अमावस्या तिथि 08 मई को सुबह 08 बजकर 51 मिनट तक है। इसके पश्चात, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। इस दिन वैशाख अमावस्या और शनि जयंती मनाई जाएगी। साधक प्रातः काल में स्नान-ध्यान कर पूजा, जप-तप और दान-पुण्य कर सकते हैं।
कब करें पूजा ?
सनातन धर्म शास्त्रों में निहित है कि न्याय के देवता शनिदेव, देवों के देव महादेव के परम भक्त हैं। पिता के कहने पर शनि देव ने भगवान शिव की कठिन तपस्या की। कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शनिदेव को न्याय करने का अधिकार दिया। आसान शब्दों में कहें तो शनिदेव, न्याय के देवता कहलाये। अतः भगवान शिव की पूजा करने से शनिदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो शनि जयंती पर दुर्लभ 'शिववास' योग बन रहा है। इस योग का निर्माण प्रातः काल 08 बजकर 51 मिनट तक है। इस समय में शनिदेव की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होंगे। वहीं, शिववास योग के दौरान महादेव का जलाभिषेक करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।यह भी पढ़ें: ऐसे हुआ था पापनाशिनी मां गंगा का जन्म, जानिए पौराणिक कथा
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