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Shani Jayanti 2024: नाराज शनि को करना है प्रसन्न, तो शनि जयंती पर करें ये काम

शनि जयंती (Shani Jayanti 2024) का दिन बेहद कल्याणकारी माना जाता है। शनिदेव महादेव के बहुत बड़े भक्त हैं। उन्हें सेवा और व्यापार जैसे कर्मों का स्वामी भी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जहां भी शनिदेव सीधी दृष्टि डालते हैं वहां उथल-पुथल मच जाती है। इस बार शनि जयंती 6 जून को मनाई जाएगी तो चलिए उनकी आरती और स्तोत्र का पाठ यहां करते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 01 Jun 2024 01:20 PM (IST)
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Shani Jayanti 2024: शनि देव स्तोत्र व आरती -

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा के अलग- अलग नियम व दिन हैं। वैसे ही शनि देव की पूजा के लिए शनिवार और शनि जयंती (Shani Jayanti 2024) का दिन बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शनि की भाव के साथ पूजा करने से सुखों की प्राप्ति होती हैं। वहीं, अगर उनकी पूजा के दौरान विशेष आरती और स्तोत्र का पाठ किया जाए, तो उसका शुभ फल प्राप्त होता है।

ऐसे में अगर आप शनि जयंती के दिन शनि देव की कृपा पाना चाहते हैं और उनके अशुभ प्रभाव को अपने जीवन से कम करना चाहते हैं, तो उनकी पूजा के बाद यहां दिए गए स्तोत्र व आरती का पाठ करना चाहिए। इससे जीवन की राह आसान होती है। साथ ही शनि देव सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।

।।शनि स्तोत्र।।

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।

नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।।

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।

नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।

नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।।

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।

नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।

सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च।।

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।

नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते।।

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।

नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।

तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।

त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।

प्रसाद कुरु मे सौरे वारदो भव भास्करे।

एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।।

॥शनि देव की आरती॥

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥

जय जय श्री शनि देव....

श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।

नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥

जय जय श्री शनि देव....

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।

मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥

जय जय श्री शनि देव....

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।

लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥

जय जय श्री शनि देव....

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।

विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥

जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।

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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।