Shani Pradosh Vrat 2024: शनि प्रदोष पर शाम के समय करें शिव जी की ये आरती, खुशियों से भरा रहेगा घर
प्रदोष व्रत भगवान शंकर की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह प्रति माह दो बार आते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है। वहीं इस दिन (Sawan Pradosh Vrat 2024 Date) शिव मंदिर जाना भी परम कल्याणकारी माना जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में शनि प्रदोष का बहुत महत्व है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन भगवान शिव के लिए उपवास रखते हैं और शाम के समय विधिपूर्वक पूजा करते हैं, उन्हें सुख और शांति की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है। इस बार प्रदोष व्रत 17 अगस्त, 2024 यानी आज रखा जा रहा है।
ऐसे में इस दिन (Shani Pradosh Vrat 2024) देवों के देव महादेव की विधिवत पूजा करें। साथ ही उनकी स्तुति का पाठ कर आरती करें। इससे भोलेनाथ की पूर्ण कृपा प्राप्त होगी।
।।शिव स्तुति मंत्र।।
पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।1।
महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।2।गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।3।शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।4।परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।5।न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।
न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।6।अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।7।नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।8।प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।
शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।9।शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।10।त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।11।यह भी पढ़ें: Shani Pradosh Vrat 2024: सावन का आखिरी प्रदोष व्रत आज, नोट करें शिव जी के प्रिय भोग और पुष्प से लेकर सबकुछ