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Shani Pradosh Vrat 2024: शनि प्रदोष व्रत पर बन रहा है दुर्लभ शुक्ल योग, प्राप्त होगा कई गुना फल

ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि अप्रैल 06 को सुबह 10 बजकर 19 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 07 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा का समय संध्याकाल 06 बजकर 42 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 58 मिनट तक है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sat, 30 Mar 2024 04:51 PM (IST)
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Shani Pradosh Vrat 2024: शनि प्रदोष व्रत पर बन रहा है दुर्लभ शुक्ल योग, प्राप्त होगा कई गुना फल

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shani Pradosh Vrat 2024: हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस प्रकार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 06 अप्रैल को है। शनिवार के दिन पड़ने के चलते यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा। इसे शनि त्रयोदशी भी कहा जाता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि सूर्य देव के कहने पर शनि देव ने भगवान शिव की कठिन तपस्या की थी। शनि देव की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें नवग्रहों में श्रेष्ठ स्थान प्रदान किया। धार्मिक मत है कि शनि त्रयोदशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट यथाशीघ्र दूर हो जाते हैं। अतः शनि त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव संग शनि देव की पूजा की जाती है। ज्योतिषियों की मानें तो शनि प्रदोष पर एक साथ कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आइए, इन योग के बारे में जानते हैं-

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शुभ मुहूर्त

ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि अप्रैल 06 को सुबह 10 बजकर 19 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 07 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। अतः 06 अप्रैल को ही शनि प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। इस दिन प्रदोष काल यानी पूजा का समय संध्याकाल 06 बजकर 42 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 58 मिनट तक है। इस दौरान साधक अपने आराध्य की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

योग

ज्योतिषियों की मानें तो शनि त्रयोदशी पर सबसे पहले शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 06 बजकर 15 मिनट तक है। इसके बाद शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण 07 अप्रैल को देर रात 02 बजकर 20 मिनट तक है। इसके बाद ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है, जो 07 अप्रैल को रात 10 बजकर 17 मिनट तक है। इन योग में भगवान शिव एवं शनि देव की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं।

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डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।