Shani dev: शनि की साढ़े साती के दौरान भूलकर भी न करें ये काम, वरना रुष्ट हो सकते हैं शनिदेव
Shani ki Sade Sati सनातन धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है। साथ ही उन्हें कर्मफल दाता भी कहा जाता हैं क्योंकि वह व्यक्ति को उनके क्रमों के अनुसार फल देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में माना गया है कि यदि किसी व्यक्ति के जीवन में शनि की साढ़े साती शुरू हो जाती है तो उस व्यक्ति को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Fri, 15 Sep 2023 01:44 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Sade Sati ke Upay: शनि देव के स्वभाव की बात करें तो वह जल्दी क्रोधित हो जाते हैं। अगर शनि देव क्रोधित हो जाएं तो व्यक्ति को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। कुंडली में साढ़े साती लगने पर जातक को स्वास्थ्य, वित्त और करियर संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं कि शनि की शनि की साढ़े साती के दौरान व्यक्ति को किन कार्यों को करने से बचना चाहिए।
इसलिए कहते हैं साढ़े साती
ऐसा माना जाता है कि जब शनिदेव किसी को दंड देते हैं तो उसके जीवन में साढ़े साती और ढैय्या का चक्र शुरू हो जाता है। शनि एक राशि में लगभग ढाई साल तक रहते हैं। तीन भावों में होने के कारण यह गोचर साढ़े सात वर्ष चलता है। इस कारण शनि के इस गोचर को शनि की साढ़े साती कहते हैं।
न करें ये काम
जो व्यक्ति शनि की साढ़े साती से पीड़ित हैं, उसे शनिवार और मंगलवार के दिन शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे शनिदेव नाराज हो सकते हैं। वहीं शनिवार और मंगलवार के दिन काले कपड़े और चमड़े के समान को भी खरीदने से बचना चाहिए।वाद-विवाद से बचें
क्योंकि साढ़े साती एक मुश्किल समय होता है इसलिए इस समय जोखिम भरे कार्यों को करने से बचना चाहिए। वहीं, इस दौरान जातक को किसी से भी वाद-विवाद करने से बचना चाहिए, वरना इससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
न करें अकेले यात्रा
अगर आप जीवन में साढ़े साती का सामना कर रहे ,हैं तो ऐसे में कानूनी झमेलों में फंसने से बचना चाहिए। साथ ही इस दौरान रात के समय अकेले यात्रा पर जाने से बचें।इन उपायों से होगा बचाव
शनि की साढ़े साती से मुक्ति पाने के लिए शनिवार के दिन भगवान शनि देव की पूजा-अर्चना करें। उन्हें तिल का तेल अर्पित करें। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं। नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा करने से भी शनि दशा से राहत मिलती है। इसके साथ ही पीपल में अर्घ देने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। नियमित रूप से शनि स्तोत्र का पाठ करें। शनि की दशा से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
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