Shani Uday 2023 आज शनि देव स्वराशि कुंभ में उदित होंगे। ज्योतिष शास्त्र में बताया कि शनि उदय का प्रभाव सभी राशियों पर सकारात्मक नकारात्मक रूप से पड़ता है। ऐसे में इस अवधि में शनि देव की उपासना करने से अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है।
By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Mon, 06 Mar 2023 01:11 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्मिक डेस्क | Shani Uday 2023: ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि सभी ग्रह एक अवधि के बाद उदित होते हैं और कुछ समय बाद अपनी यात्रा को विराम देते हुए अस्त हो जाते हैं। बता दें कि 31 जनवरी 2023 को शनि देव कुंभ राशि में अस्त हो गए थे, जो आज यानि 06 मार्च 2023 (Shani Uday 2023 Date) को उदित होंगे। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि शनि उदय का प्रभाव सभी राशियों पर सकारात्मक व नकारात्मक रूप से पड़ेगा।
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि शनि उदय की अवधि में सभी राशि के जातकों को शनि देव की उपासना करनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव न्याय के देवता हैं और साधक को कर्मों के अनुसार प्रदान करते हैं। शनि देव की उपासना करने से ग्रह शांति में सहयोग मिलता है और कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं शनि देव की पूजा के नियम और विधि।
शनि देव पूजा नियम (Shani Dev Puja Niyam)
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शास्त्रों में बताया गया है कि शनिदेव की पूजा करने के लिए दिशा का ध्यान विशेष रूप से रखना चाहिए। शनि देव की पूजा पूर्व दिशा में मुंह करके करनी चाहिए। इसके साथ शनिदेव पश्चिम दिशा के स्वामी हैं, इसलिए इस दिशा में पूजा करने से भी साधक को लाभ मिलता है।
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शनि देव की पूजा में तांबे के पात्र का इस्तमाल भूलकर भी ना करें। ऐसा इसलिए क्योंकि यह धातु सूर्यदेव को बहुत प्रिय है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि एवं सूर्य एक-दूसरे के शत्रु ग्रह हैं। इसलिए उनकी पूजा में तांबे की जगह लोहे से बने बर्तनों का इस्तमाल करें।
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शनिदेव की पूजा में काले तिल से बने लड्डू का भोग अवश्य लगाएं। इसके अलावा उन्हें सिर्फ काला तिल अर्पित करने से भी लाभ मिलता है। साथ कई जगहों पर शनिदेव को खिचड़ी का भोग भी लगाया जाता है।
शनि देव पूजा विधि (Shani Dev Puja Vidhi)
6 मार्च 2023, सोमवार के दिन शनि देव कुंभ राशि में उदित होंगे। इसलिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और घर के मंदिर में दीपक जलाएं। इसके बाद शनिदेव को तेल अर्पित करें और फिर गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि अर्पित करें। ऐसा करने के बाद भोग लगाएं और शनि देव की आरती करें। शनिदेव की पूजा के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि साधक की आंखें शनिदेव की आंखों में से ना मिले। शनिदेव से नजरें मिलाने से अशुभ प्रभाव का भय बढ़ जाता है।
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