Shaniwar Upay: शनिवार के दिन करें ये अचूक उपाय, प्रसन्न होंगे कर्मफल दाता
Shaniwar Upay भगवान शनि कर्मों के अनुसार किसी भी जातक के साथ न्याय करते हैं इसलिए उन्हें कर्मफल दाता के नाम से भी जाना जाता है। अगर आपकी कुंडली में शनि की दशा खराब है या फिर आप कई सारी समस्याओं से घिरे हुए हैं जिनका समाधान आपको मुश्किल लग रहा है। ऐसे में आपको न्याय के देवती की विशेष पूजा करनी चाहिए साथ ही कुछ ज्योतिष उपाय आजमाना चाहिए।
By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sat, 16 Dec 2023 07:00 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Shaniwar Ke Upay: भगवान शनि की पूजा ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही फलदायी मानी गई है। कहा जाता है, शनिदेव कर्मों के अनुसार, न्याय करते हैं, इसलिए उन्हें कर्मफल दाता के नाम से भी जाना जाता है। अगर आपकी कुंडली में शनि की दशा खराब है, या फिर आप कई सारी समस्याओं से घिरे हुए हैं, जिनका समाधान आपको मुश्किल लग रहा है।
ऐसे में आपको न्याय के देवती की विशेष पूजा करनी चाहिए साथ ही कुछ ज्योतिष उपाय आजमाना चाहिए। जो इस प्रकार है -
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शनिवार के चमत्कारी उपाय
- अगर आप शनि देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो किसी भी शनिवार के दिन अपने घर पर शनि यंत्र की स्थापना करें और उसकी विधि अनुसार पूजा करें।
- कहा जाता है, मांसाहार का त्याग करने और गरीबों की मदद करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
- शनिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः' मंत्र का जाप 108 बार करें।
- शनिवार के दिन काली गाय को गुड़ खिलाएं और उसके माथे पर लाल रोली का तिलक करें। इस उपाय को कम से कम 7 शनिवार अवश्य करें।
- शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के समक्ष सरसों के तेल का दीया अवश्य जलाएं और 7 बार परिक्रमा करें।
- शनिवार की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों तेल के नौ दीपक जलाएं और फिर शनि मंत्र का जाप श्रद्धा पूर्वक करें।
- ऐसा कहा जाता है कि यदि शनिवार के दिन तिल, काली उड़द, तेल, गुड़ , काले वस्त्र और लोहे का दान किया जाए, तो भगवान शनि की कृपा सदैव बनी रहती है।
शनि देव मंत्र
- ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
- ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।
- ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
- ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।
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