Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा पर जरूर करें यह अनुष्ठान, पितरों की बरसेगी कृपा
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2024) 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा शुभ मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस शुभ दिन का उपवास रखते हैं उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही यह तिथि स्नान-दान के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। वहीं इस मौके पर पितरों के नाम का अनुष्ठान भी जरूर करना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पूर्णिमा का खास महत्व है। यह दिन हिंदुओं के लिए सबसे शुभ दिनों में से एक होता है। इस दिन लोग भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस पावन दिन पर व्रत रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं और जीवन के सभी दुखों का अंत होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर (Sharad Purnima 2024 Date) को मनाया जाएगा। इस दिन किसी प्रकार का पूजा अनुष्ठान किया जाए, तो उसका फल तुरंत प्राप्त होता है। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आती है।
इसलिए कहा जाता है कि पितरों की तृप्ति के लिए इस दिन उनके नाम का भी अनुष्ठान जरूर करना चाहिए और पितृ चालीसा का पाठ भी जरूर करना चाहिए। इससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
।।पितृ चालीसा।।
।।दोहा।।
हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद,
चरण शीश नवा दियो रख दो सिर पर हाथ ।
सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी ।
हे पितरेश्वर दया राखियो, करियो मन की चाया जी । ।
।।चौपाई।।
पितरेश्वर करो मार्ग उजागर,
चरण रज की मुक्ति सागर ।
परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा,
मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा ।
मातृ-पितृ देव मन जो भावे,
सोई अमित जीवन फल पावे ।
जै-जै-जै पित्तर जी साईं,
पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं ।
चारों ओर प्रताप तुम्हारा,
संकट में तेरा ही सहारा ।
नारायण आधार सृष्टि का,
पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का ।
प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते,
भाग्य द्वार आप ही खुलवाते ।
झुंझनू में दरबार है साजे,
सब देवों संग आप विराजे ।
प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा,
कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा ।
पित्तर महिमा सबसे न्यारी,
जिसका गुणगावे नर नारी ।
तीन मण्ड में आप बिराजे,
बसु रुद्र आदित्य में साजे ।
नाथ सकल संपदा तुम्हारी,
मैं सेवक समेत सुत नारी ।
छप्पन भोग नहीं हैं भाते,
शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते ।
तुम्हारे भजन परम हितकारी,
छोटे बड़े सभी अधिकारी ।
भानु उदय संग आप पुजावे,
पांच अँजुलि जल रिझावे ।
ध्वज पताका मण्ड पे है साजे,
अखण्ड ज्योति में आप विराजे ।
सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी,
धन्य हुई जन्म भूमि हमारी ।
शहीद हमारे यहाँ पुजाते,
मातृ भक्ति संदेश सुनाते ।
जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा,
धर्म जाति का नहीं है नारा ।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख,
ईसाई सब पूजे पित्तर भाई ।
हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा,
जान से ज्यादा हमको प्यारा ।
गंगा ये मरुप्रदेश की,
पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की ।
बन्धु छोड़ ना इनके चरणाँ,
इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा ।
चौदस को जागरण करवाते,
अमावस को हम धोक लगाते ।
जात जडूला सभी मनाते,
नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते ।
धन्य जन्म भूमि का वो फूल है,
जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है ।
श्री पित्तर जी भक्त हितकारी,
सुन लीजे प्रभु अरज हमारी ।
निशिदिन ध्यान धरे जो कोई,
ता सम भक्त और नहीं कोई ।
तुम अनाथ के नाथ सहाई,
दीनन के हो तुम सदा सहाई ।
चारिक वेद प्रभु के साखी,
तुम भक्तन की लज्जा राखी ।
नाम तुम्हारो लेत जो कोई,
ता सम धन्य और नहीं कोई ।
जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत,
नवों सिद्धि चरणा में लोटत ।
सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी,
जो तुम पे जावे बलिहारी ।
जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे,
ताकी मुक्ति अवसी हो जावे ।
सत्य भजन तुम्हारो जो गावे,
सो निश्चय चारों फल पावे ।
तुमहिं देव कुलदेव हमारे,
तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे ।
सत्य आस मन में जो होई,
मनवांछित फल पावें सोई ।
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई,
शेष सहस्र मुख सके न गाई ।
मैं अति दीन मलीन दुखारी,
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी ।
अब पितर जी दया दीन पर कीजै,
अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ।
।।दोहा।।
पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम ।
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम ।
झुंझनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान ।
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान । ।
जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझनू धाम ।
पित्तर चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान । ।
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