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Sharad Purnima 2024: 16 या 17 अक्टूबर, कब है शरद पूर्णिमा? जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

इस बार शरद पूर्णिमा की डेट को लेकर लोग अधिक कन्फ्यूज हो रहे हैं। कुछ लोग शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर की बता रहे हैं तो वहीं कुछ लोग यह पर्व 17 अक्टूबर को मनाने की बात कह रहे हैं। आइए इस लेख में हम आपको हिंदू पंचांग के अनुसार बताएंगे कि शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2024 Date) किस तारीख को मनाई जाएगी?

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 15 Oct 2024 04:09 PM (IST)
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Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा की सही डेट क्या है?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन शरद पूर्णिमा ( Sharad Purnima Significance) का पर्व मनाया जाता है। इसके पर्व के बाद कार्तिक माह की शुरुआत होती है। इस दिन विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति के लिए साधक भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखते हैं। साथ ही अमोघ फल की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि इन कार्यों को करने से जातक और उसके परिवार को विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में।

शरद पूर्णिमा 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Sharad Purnima 2024 Date and Auspicious Time)

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को रात्रि 08 बजकर 40 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को शाम को 04 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर (Sharad Purnima 2024 Date) को मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रोदय शाम को 05 बजकर 05 मिनट पर होगा।

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पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 23 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 50 मिनट पर

चंद्रोदय- शाम 05 बजकर 05 मिनट पर

चंद्रास्त- 17 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 58 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 42 मिनट से 05 बजकर 32 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से 02 बजकर 47 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 50 मिनट से 06 बजकर 15 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - 17 अक्टूबर को रात्रि 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक

शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2024 Importance) के पर्व को महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पर्व को कोजागरी पूर्णिमा, कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान अवतरित हुईं थीं। इसी वजह से शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2024 History) के शुभ अवसर पर विधिपूर्वक मां लक्ष्मी और जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और व्रत करने का विधान है। इससे जातक को सुख-समृद्धि, धन वैभव की प्राप्ति होती है।

मां लक्ष्मी के मंत्र

1. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।

या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।

4. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।