Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा पर पूजा के समय जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, सभी मुरादें होंगी पूरी
शरद पूर्णिमा तिथि पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में चंद्र देव की पूजा (Sharad Purnima 2024 Puja Vidhi) करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होगा। साथ ही सभी प्रकार के मानसिक कष्टों से यथाशीघ्र मुक्ति मिलेगी। इस दिन जगत के पालनहार भगवान कृष्ण की भी भक्ति भाव से पूजा की जाती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 16 Oct 2024 10:30 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शरद पूर्णिमा हर वर्ष आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस दिन गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान कर बांके बिहारी कृष्ण कन्हैया लाल की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना (Sharad Purnima Significance) पूरी होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। शरद पूर्णिमा तिथि पर मन के कारक चंद्र देव की पूजा-उपासना की जाती है। साधक श्रद्धा भाव से शरद पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप भी मनोवांछित फल पाना चाहते हैं, तो शरद पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की भक्ति भाव से पूजा करे। साथ ही पूजा के समय यह व्रत कथा जरूर पढ़ें।
कब है शरद पूर्णिमा 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Sharad Purnima 2024 Date and Auspicious Time)
वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है। 16 अक्टूबर को रात 08 बजकर 40 मिनट पर आश्विन पूर्णिमा की शुरुआत होगी। वहीं, 17 अक्टूबर को संध्याकाल 04 बजकर 55 मिनट पर आश्विन पूर्णिमा का समापन होगा। इसके बाद कार्तिक माह के प्रतिपदा तिथि की शुरुआत होगी। अत: 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी।यह भी पढ़ें: Sharad Purnima 2024: आश्विन माह में कब है शरद पूर्णिमा? इस तरह शुभ मुहूर्त में करें विष्णु जी को प्रसन्न
व्रत कथा
सनातन शास्त्रों के अनुसार, प्राचीन समय में एक व्यापारी की दो बेटियां थीं। दोनों धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। धर्म-कर्म में विशेष रुचि रखती थीं। नित प्रतिदिन भगवान विष्णु की पूजा करती थीं। साथ ही पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। भगवान विष्णु की कृपा से दोनों का विवाह उच्च परिवार में हुआ। इसके पश्चात भी दोनों पूर्णिमा का व्रत रखती थीं।हालांकि, छोटी बेटी पूरा व्रत नहीं रख पाती थी। इसके लिए संध्या के समय भोजन कर लेती थी। इसके चलते व्रत का पुण्य फल प्राप्त नहीं होता था। वहीं, बड़ी बेटी को व्रत के पुण्य प्रताप से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। इसके बाद लगातार पूर्णिमा व्रत करने से छोटी बेटी को भी संतान की प्राप्ति हुई। हालांकि, संतान दीर्घायु नहीं होती थी। एक बार की बात है, जब छोटी बेटी संतान के शोक में बैठी थी।
तभी उसकी बड़ी बहन आई। उस समय वह पुत्र को खोने का संताप कर रही थी। उसी क्षण बड़ी बहन के वस्त्र के छूने से छोटी बहन का पुत्र जीवित हो उठा। यह देख छोटी बहन बेहद प्रसन्न हुई और खुशी से रोने लगी। तब बड़ी बहन ने पूर्णिमा व्रत की महिमा बताई। उस समय से छोटी बहन ने विधिपूर्वक पूर्णिमा व्रत किया। साथ ही अन्य लोगों को भी व्रत करने की सलाह दी। तभी से पूर्णिमा तिथि पर व्रत रखा जाता है। शरद पूर्णिमा व्रत करने से कुंडली में चंद्र मजबूत होता है। कुंडली में चंद्रमा मजबूत होने से जातक को हर कार्य में सफलता मिलती है।
यह भी पढ़ें: Sharad Purnima 2024: वर्षभर की 12 पूर्णिमाओं में शरद पूर्णिमा सबसे श्रेष्ठ, इस बार दो दिन पड़ रहा संयोगअस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।