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Shardiya Navratri 2023: महाष्टमी पर करें ये आसान उपाय, जीवन के सभी दुखों का होगा नाश

Sharad Navratri 2023 हिंदू धर्म में नवरात्र का समय बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस साल 15 अक्टूबर रविवार के दिन से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्र का आठवां दिन देवी महागौरी की पूजा के लिए समर्पित है। माना जाता है कि मां महागौरी की पूजा मात्र से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Fri, 20 Oct 2023 12:47 PM (IST)
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Durga Ashtami ke upay महाष्टमी पर करें ये आसान उपाय।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Durga Ashtami ke upay: नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और देवी के नौ रूपों का आशीष प्राप्त किया जाता है। नवरात्र में अष्टमी तिथि विशेष महत्व रखती है, जिसे दुर्गा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में आप इस दिन कुछ विशेष उपायों द्वारा मां दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं दुर्गा अष्टमी के महाउपाय।

इसलिए खास है अष्टमी तिथि

नवरात्र के नौ दिन एक खास महत्व रखते हैं, लेकिन सबसे अधिक महत्व अष्टमी तिथि का है। इसे दुर्गा अष्टमी और महाष्टमी भी कहते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अष्टमी तिथि पर ही देवी दुर्गा ने असुरों का वध के लिए अवतार लिया था। यह दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप देवी महागौरी की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। साथ ही कई लोग इस दिन क्या पूजन भी करते हैं।

ये चीजों करें अर्पित

महाष्टमी की पूजा के दौरान मां दुर्गा की विधि-विधान के साथ पूजा करें, साथ ही उन्हें लौंग और लाल फूल अर्पित करें। ऐसा करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं जिससे आपके जीवन में आ रही सभी समस्याओं का निवारण होता है।

घर में होगा सुख-समृद्धि का आगमन

शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि मां महागौरी की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसे में माता को लाल रंग की चुनरी में एक सिक्का और बताशा रखकर अर्पित करें। ऐसा करने से साधक को माता रानी की विशेष कृपा मिलती है और घर परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

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जरूर करें ये काम

नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। ऐसे में महाष्टमी के दिन कन्याओं का पूजन करें और इन्हें अपनी क्षमतानुसार भेंट दें। इसके साथ ही इस दिन तुलसी के पौधे के पास 9 दीपक जलाएं और तुलसी माता की परिक्रमा करें। ऐसा करने से साधक के सभी प्रकार के रोग-दोष समाप्त होते हैं।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'