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Navratri 2023: गुणों के संतुलन का अवसर है नवरात्र, जानें क्या है इन नौ दिनों का महत्व

रविवार से शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2023) की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान देशभर में नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की आराधना की जाएगी। इन नौ दिनों को मुख्य रूप से शक्ति के तीन रूपों में बांटा गया है। नवरात्र में पहले तीन दिन दुर्गा देवी की उपासना की जाती है फिर अगले तीन दिन लक्ष्मी देवी की और अंतिम के तीन दिन सरस्वती देवी की।

By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Sun, 15 Oct 2023 08:52 AM (IST)
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जानें क्या है नवरात्र के नौ दिनों का महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Shardiya Navratri 2023: रविवार यानी 15 अक्टूबर से नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। देशभर में लोग माता रानी के स्वागत की तैयारियों में जुटे हुए हैं। नौ दिनों तक चलने वाले इस त्योहार की रौनक हर जगह देखने को मिल रही है। हिंदू धर्म में नवरात्र का काफी महत्व है। इन नौ दिन लोग शक्ति की पूजा-आराधना करते हैं।

इस पर्व को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। साथ ही इसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। कुछ लोग इसे दुर्गा पूजा के रूप में जानते हैं, तो कुछ काली पूजा के रूप में मनाते हैं। इस दौरान माता रानी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र के शुभ मौके पर जानेंगे क्या है इन नौ दिनों का महत्व और कैसे की जाती है नौ दिनों मां दुर्गा की आराधना-

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नवरात्र के नौ दिनों का महत्व

नवरात्र का शाब्दिक अर्थ है "नौ रातें।" इन नौ रातों की गिनती अमावस्या के अगले दिन से की जाती है। यह देवी के लिए एक विशेष समय है, जो ईश्वर की स्त्री प्रकृति का प्रतिनिधित्व करती है। दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती को स्त्री के तीन आयामों के रूप में देखा जाता है। जो लोग ताकत या शक्ति की आकांक्षा रखते हैं, वे धरती माता, दुर्गा या काली जैसे नारी के रूपों की पूजा करते हैं। जो लोग धन, जुनून या भौतिक उपहार की इच्छा रखते हैं, वे लक्ष्मी या सूर्य की पूजा करते हैं। वहीं, जो लोग ज्ञान, विघटन या नश्वर शरीर की सीमाओं के पार जाने की आकांक्षा रखते हैं, वे सरस्वती या चंद्रमा की पूजा करते हैं।

देवी के तीन रूपों की होती है पूजा

इन्हीं मूल गुणों के अनुसार नवरात्र के नौ दिनों का वर्गीकरण किया गया है। पहले तीन दिन स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करने वाली दुर्गा को, अगले तीन दिन धन का प्रतिनिधित्व करने वाली महालक्ष्मी को और अंतिम तीन दिन ज्ञान का प्रतिनिधित्व करने वाली महा सरस्वती को समर्पित हैं। दसवें दिन विजयादशमी को जीवन के इन तीनों पहलुओं पर विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। देवी के पहले दो आयाम मानव अस्तित्व और कल्याण के लिए आवश्यक हैं। वहीं, तीसरा है सीमाओं के पार जाने की आकांक्षा। इसके लिए आपको महासरस्वती को प्रसन्न करने का प्रयास करना होगा, अन्यथा आप उन तक नहीं पहुंच सकते।

नवरात्र का असल अर्थ

नवरात्र के इन नौ दिनों में देवी के ये तीन रूपों दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती को पूजा जाता है, जो क्रमशः तीन गुणों के प्रतीक हैं-तमोगुण, रजोगुण और सतोगुण। जीवन में सफलता, सुख-सुविधाएं और प्रसन्नता के लिए इन तीन गुणों को संतुलन में रखना होगा। ये नौ दिन अपनी पूरी क्षमता से विकसित होने के बारे में हैं और दसवां दिन विजयादशमी है, जिसका अर्थ है जीत का दिन, जो यह दर्शाता है कि बुराई कितनी ही ताकतवर क्यों न हो, अंत में जीत अच्छाई की ही होती है।

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