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Shardiya Navratri 2023: बेहद शक्तिशाली है मां चंद्रघंटा की ये आरती, पाठ मात्र से होगा बेड़ा पार

Shardiya Navratri 2023 नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है। भक्त इस शुभ दिन मां के लिए उपासना करते हैं। ऐसी मान्यता है जो साधक इस दिन मां का व्रत रखते हैं साथ ही उनकी विधि विधान के अनुसार आरती करते हैं मां उनकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Mon, 16 Oct 2023 02:54 PM (IST)
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Shardiya Navratri 2023: बेहद शक्तिशाली है मां चंद्रघंटा की ये आरती

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क।Shardiya Navratri 2023: सनातन धर्म में नवरात्र का बड़ा ही धार्मिक महत्व है। नवरात्र के दिन बेहद पावन माने जाते हैं। इस दिन मां के नौ अवतारों की पूजा का विधान है। देशभर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं। नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है। भक्त इस शुभ दिन मां के लिए उपासना करते हैं।

ऐसी मान्यता है, जो साधक इस दिन मां का व्रत रखते हैं साथ ही उनकी विधि विधान के अनुसार आरती करते हैं, मां उनकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। तो आइए मां की आरती और कवच पढ़ते हैं-

भक्तिमय कर देनेवाली पहली आरती

नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।

मस्तक पर है अर्ध चंद्र, मंद मंद मुस्कान।।

दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।

घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण।।

सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके स्वर्ण शरीर।

करती विपदा शांति हरे भक्त की पीर।।

मधुर वाणी को बोल कर सबको देती ज्ञान।

भव सागर में फंसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण।।

नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।

जय मां चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा।।

मां चंद्रघंटा को प्रसन्न करने वाली दूसरी आरती

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम

पूर्ण कीजो मेरे काम

चंद्र समान तू शीतल दातीचंद्र तेज किरणों में समाती

क्रोध को शांत बनाने वाली

मीठे बोल सिखाने वाली

मन की मालक मन भाती हो

चंद्र घंटा तुम वरदाती हो

सुंदर भाव को लाने वाली

हर संकट मे बचाने वाली

हर बुधवार जो तुझे ध्याये

श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं

सन्मुख घी की ज्योत जलाएं

शीश झुका कहे मन की बाता

पूर्ण आस करो जगदाता

कांची पुर स्थान तुम्हारा

करनाटिका में मान तुम्हारा

नाम तेरा रटू महारानी

'भक्त' की रक्षा करो भवानी

मां चंद्रघंटा का कवच

रहस्यम् शृणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।

श्री चन्द्रघण्टास्य कवचम् सर्वसिद्धिदायकम्॥

बिना न्यासम् बिना विनियोगम् बिना शापोध्दा बिना होमम्।

स्नानम् शौचादि नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिदाम॥

कुशिष्याम् कुटिलाय वञ्चकाय निन्दकाय च।

न दातव्यम् न दातव्यम् न दातव्यम् कदाचितम्॥

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।