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Shardiya Navratri 2024: नवरात्र के दूसरे दिन जरूर करें मां ब्रह्माचारिणी की यह आरती, सभी कार्यों में मिलेगी सफलता

नवरात्र का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। यह दिन अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार 4 अक्टूबर 2024 को शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन (Shardiya Navratri 2024) मां ब्रह्माचारिणी की पूजा करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में शुभता आती है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 03 Oct 2024 02:11 PM (IST)
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Shardiya Navratri 2024: मां ब्रह्माचारिणी की आरती।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। 4 अक्टूबर को नवरात्र का दूसरा दिन है। यह दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए समर्पित है। अगर आप इन नौ दिनों के दौरान देवी की पूजा करते हैं, तो आपको सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ जीवन में खुशियां आती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग जीवन में दिव्य ज्ञान की चाहत रखते हैं, उन्हें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा जरूर करनी चाहिए।

इसके (Shardiya Navratri 2024) साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। वहीं, पूजा के दौरान मां की भव्य आरती जरूर करनी चाहिए, क्योंकि इसके बिना मां की पूजा अधूरी होती है।

।।मां ब्रह्माचारिणी आरती।।

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।

पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।

रखना लाज मेरी महतारी।

।।देवी स्तोत्र।।

वन्दे वांच्छितलाभायचन्द्रर्घकृतशेखराम्।

जपमालाकमण्डलुधराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णास्वाधिष्ठानास्थितांद्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।

धवल परिधानांब्रह्मरूपांपुष्पालंकारभूषिताम्॥

पद्मवंदनापल्लवाराधराकातंकपोलांपीन पयोधराम्।

कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीनिम्न नाभि नितम्बनीम्॥

तपश्चारिणीत्वंहितापत्रयनिवारिणीम्।

ब्रह्मरूपधराब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

नवचक्रभेदनी त्वंहिनवऐश्वर्यप्रदायनीम्।

धनदासुखदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शंकरप्रियात्वंहिभुक्ति-मुक्ति दायिनी।

शान्तिदामानदा,ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।